इस मुलाकात के बाद दोनों की निकटता बढती गयी। गुप्ता की कंपनी ग्लोबल मीडिया विज्ञापन इंडस्ट्री से जुडी है। सूत्र बताते है कि गुप्ता ने राधे मां को बताया की कैसे वो उनके साथ मिल कर रातों रात ख्याति पा सकती हैं।
यहीं से शुरु हुआ प्रसिद्धी और ऎश्वर्य पाने का सिलसिला। बोरीवली पश्चिम में रेलवे स्टेशन से 10 मिनट की दूरी पर ‘राधे देवी माँ’ भवन है, इसी के ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल है, जिसे ‘माता की चौकी’ कहा जाता है। राधे मां यहीं भक्तों को अपने दर्शन देती हैं।
यहां दिखता है राधे माँ का जलवा। स्टेज पर राधे मां दुल्हन की तरह फुल मेकप कर अवतरित होती हैं और झूमती नाचती रहती हैं। इस सबके बीच जो अद्भुत नज़ारा होता है वो ये कि राधे मां जब किसी पर प्रसन्न होती हैं तब झूमते हुए उसकी गोद में कूद जाती हैं। कहा जाता है कि जिस भक्त की गोद में वो छलांग लगाती हैं उसके सभी कष्ट उसी समय से दूर हो जाते हैं।
राधे माँ के भक्तों में दलेर मेंहदी, मनोज तिवारी, डॉली बिन्द्रा, हंसराज हंस, प्रहलाद कक्कड़, एमएस बिट्टा, अनूप जलोटा, शार्दुल सिंकदर, लखबीर सिंह लख्खा, अनुराधा पौडवाल, रूप कुमार राठौड़, नरेंद्र चंचल के साथ ही और भी कई शामिल हैं|
लेकिन रातों रात प्रसिद्धी और ऎश्वर्य पाने वाली राधे मां का जीवन विवादों से घिरा रहा है। वे केवल मात्र सांसारिक विवादों में ही नहीं घिरी बल्कि जूना अखाड़े द्वारा उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि देना भी विवादों में आ गया। उन पर लगाए गए आरोप सही पाए जाने पर अखाड़े ने उनसे महामंडलेश्वर की उपाधि वापिस भी ले ली।