नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज एक वीडियो शेयर किया जिसमें वो कोरोना संकट के बाद अर्थव्यवस्था पर असर को लेकर एक शख्स से बात करते दिख रहे हैं। वीडियो में राहुल गांधी के साथ दिख रहे शख्स बांग्लादेश के अर्थशास्त्री और बांग्लादेश ग्रामीण बैंक के संस्थापक मुहम्मद युनूस हैं। उन्होंने इस बैंक के द्वारा बांग्लादेश में माइक्रो क्रेडिट यानी गरीबों को बिना जमानत के छोटे-छोटे लोन देने की शुरुआत की इसलिए उन्हें बांग्लादेश के गरीबों का मसीहा भी माना जाता है।
मुहम्मद युनुस को 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मुहम्मद युनुस तथा बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक को नोबेल शांति पुरस्कार संयुक्त रूप से मिला था। उनका जन्म 28 जून 1940 को पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के चटगांव में हुआ था। उन्होंने ढाका यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की। उन्होंने चटगांव यूनिवर्सिटी में 1961 से 1965 तक इकोनॉमिक्स पढ़ाया और इसके बाद उन्हें अमेरिका की फुलब्राइट स्कॉलरशिप मिल गई।
अमेरिका के वंदरबिल्ड यूनिवर्सिटी में उन्होंने 1965 से 1972 तक पढ़ाई और टीचिंग की और 1969 में इकोनॉमिक्स में पीएचडी की उपाधि मिली। इसके बाव वह चटगांव यूनिवर्सिटी लौट आए, जहां उन्हें 1972 में इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट का हेड बना दिया गया।
1974 में बांग्लादेश में आए अकाल ने उन्हें द्रवित कर दिया और उन्होंने गरीबी के आर्थिक पहलुओं का अध्ययन शुरू किया। उन्होंने अपने स्टूडेंट्स से खेतों में जाकर किसानों की मदद करने को कहा लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि इससे भूमिहीन लोगों को कोई फायदा नहीं होने वाला। उन्होंने देखा कि जो साहूकार इनको कर्ज देते हैं वे भारी सूद लेते हैं।
मुहम्मद यूनुस ने इसके बाद 1976 में 'माइक्रो' लोन यानी सूक्ष्म, बहुत छोटे कर्जों की शुरुआत की। कर्जधारक छोटे-छोटे समूह बनाकर कुछ हजार टका का भी लोन ले सकते थे। समूह के सदस्यों की मदद से कर्जधारक लोन आसानी से चुका भी देते थे। यही नहीं इन गरीबों को वे अर्थशास्त्र की बुनियादी समझ भी देते थे ताकि वे खुद अपनी मदद कर सकें।
बांग्लादेश सरकार ने ग्रामीण बैंक प्रोजेक्ट को 1983 में एक अलग स्वतंत्र बैंक बना दिया जिसमें एक छोटा हिस्सा सरकार का भी हो गया। इस प्रकार मुहम्मद यूनुस के ग्रामीण बैंक और माइक्रो क्रेडिट के मॉडल को कई देशों ने अपनाया।