नई दिल्ली: आखिरकार सात साल तीन महीने बाद निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया। इस दौरान सबसे ज्यादा कोई चर्चा में रहा तो वह हैं इन दोषियों के वकील एपी सिंह। दरअसल, एपी सिंह के कानूनी दांव पेच के चलते ही निर्भया के चारों दोषी (विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) कई साल फांसी से बचते रहे। एपी सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। वो कई सालों से दिल्ली में ही रहकर वकालत कर रहे हैं। यहां पर वह अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। जब कोई भी वकील निर्भया के दोषियों का केस लड़ने के लिए आगे नहीं आ रहा था तो एपी सिंह ने आगे बढ़कर यह केस अपने हाथ में लिया और 7 साल तक दोषियों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ते रहे।
निर्भया मामले में दोषियों का केस लड़ने के दौरान वह कई बार निचली अदालत से लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार खा चुके हैं। यहां तक कि उन पर इस मामले में हजारों रुपये का फाइन भी लग चुका है। वहीं, एपी सिंह का मानना है कि यह वकालत के पेशे का एक हिस्सा है। एपी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट होने के साथ डॉक्टरेट की डिग्री भी ली है। कुल मिलाकर वह बेहद पढ़े-लिखे वकीलों में शुमार होते हैं।
एपी सिंह ने 1997 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। वह चर्चा में तब आए जब अपने वकालत के करियर में वह पहली बार वर्ष, 2012 में साकेत कोर्ट में निर्भया के दोषियों की ओर से पेश हुए थे। एपी सिंह की मानें तो उन्होंने अपनी मां के कहने पर यह केस अपने हाथ में लिया। वह बताते हैं कि अक्षय को जब दुष्कर्म के आरोप में पकड़ गया था, तब उसके तीन महीने का बच्चा था। ऐसे में उसके ऊपर दया आई और उन्होंने अपनी मां के कहने पर यह केस लड़ने का फैसला लिया।
उन्होंने बताया कि चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की पत्नी अपने पति से मिलने के लिए बिहार से तिहाड़ जेल पहुंची थी। इसी दौरान किसी ने उसे मेरा मोबाइल नंबर दिया था। वह मेरे घर आई और मेरी मां से मिली। दोषियों के वकील बताते हैं कि मैंने अपनी मां से कहा कि इस केस को लड़ने के क्या परिणाम हो सकते हैं, लेकिन मेरी मां ने एक पत्नी को न्याय दिलाने के लिए मुकदमा लड़ने को मनाया।
यह एपी सिंह हीं हैं जिन्होंने निर्भया के रात में एक पुरुष दोस्त के साथ घूमने पर ही सवाल दाग दिए थे और कहा था कि यह उनके समाज में होता होगा, लेकिन हमारे समाज में नहीं होता। उन्होंने यह तक कह डाला था, 'अगर उनकी बेटी या बहन शादी से पहले इस तरह के संबंधों में होती तो वह उन्हें फार्महाउस में ले जाकर पूरे परिवार के सामने पेट्रोल छिड़ककर आग लगा देते।' उनके इस बयान से उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था।
16 दिसंबर, 2012 को निर्भया के साथ दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। सामूहिक दुष्कर्म के दौरान सभी 6 दरिंदों ने इस कदर निर्भया को शारीरिक प्रताड़ना दी कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। फास्ट ट्रैक में मुकदमा चला, जिसके बाद निचली अदालत, दिल्ली हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों विनय, मुकेश, पवन और अक्षय को फांसी की सजा सुनाई।