नई दिल्ली: कांग्रेस और अन्य दलों के नेताओं ने उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात कर उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग का नोटिस सौंपा हैं। कांग्रेस ने बताया कि इस नोटिस को 7 विपक्षी पार्टियों का समर्थन हासिल है और इसपर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और मुस्लिम लीग ने हस्ताक्षर किए। (क्या होता है महाभियोग या Impeachment Motion?)
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा का जन्म 3 अक्टूबर 1953 को हुआ था। 14 फरवरी 1977 में उन्होंने उड़ीसा हाई कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस शुरू की थी। न्यायमूर्ति मिश्रा भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बनने वाले ओडिशा के तीसरे न्यायाधीश हैं। उनसे पहले ओडिशा से ताल्लुक रखने वाले न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा और न्यायमूर्ति जीबी पटनायक भी इस पद पर रह चुके हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा याकूब मेमन पर दिए गए फैसले के कारण काफी सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने रात भर सुनवाई करते हुए याकूब की फांसी पर रोक लगाने संबंधी याचिका निरस्त कर दी थी।
न्यायमूर्ति मिश्रा पटना और दिल्ली उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश भी रह चुके हैं। तीन अक्टूबर 1953 को जन्मे न्यायमूर्ति मिश्रा को 17 फरवरी 1996 को उड़ीसा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया था। तीन मार्च 1997 को उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कर दिया गया। उसी साल 19 दिसंबर को उन्हें स्थायी नियुक्ति दी गयी।
चार दिन बाद 23 दिसंबर 2009 को उन्हें पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया और 24 मई 2010 को दिल्ली उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। वहां रहते हुए उन्होंने पांच हजार से ज्यादा मामलों में फैसले सुनाये और लोक अदालतों को ज्यादा प्रभावशाली बनाने के प्रयास किये। उन्हें 10 अक्टूबर 2011 को पदोन्नत करके उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। न्यायमूर्ति मिश्रा ने ही देशभर के सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के आदेश जारी किए थे।