Friday, November 22, 2024
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क्या है पैराडाइज़ पेपर्स लीक मामला ? जानें अमीर कैसे करते हैं कर चोरी?

पैराडाइज़ पेपर्स लीक मामले ने कई देशों में हड़कंप मचा दिया है. इस सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे में सैंकड़ों ऐसे नेताओं, फ़िल्म कलाकारों, उद्योगपतियों, सेलेब्रिटीज़ और अमीरों के नाम सामने आए हैं

Written by: India TV News Desk
Updated on: November 06, 2017 13:45 IST
Paradise paper leak- India TV Hindi
Paradise paper leak

 पैराडाइज़ पेपर्स लीक (paradise papers)  मामले ने कई देशों में हड़कंप मचा दिया है. इस सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे में सैंकड़ों ऐसे नेताओं, फ़िल्म कलाकारों, उद्योगपतियों, सेलेब्रिटीज़ और अमीरों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने कर बचाने के लिए बाहर के देशों में अपना पैसा लगाया जो टैक्स हेवन देश माने जाते हैं. इन लोगों ने गुप्त रुप से इन देशों में पूंजी निवेश किया है. इनमें ब्रिटेन की महारानी से लेकर बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन और राजनेताओं के नाम शामिल हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के वाणिज्य मंत्री की एक कंपनी का भी नाम है जो रूस के साथ व्यापार करती है लेकिन जिस पर अमरीका में प्रतिबंध लगा हुआ है.

पैराडाइज़ पेपर्स लीक 

इस सनसनीख़ेज़ ख़ुलासे को पैराडाइज़ पेपर्स लीक का नाम दिया गया है. ख़ुलासे में 1.34 करोड़ दस्तावेज़ सामने आए हैं. अधिकतर दस्तावेज़ विदेशी निवेश देखने वाली एक कंपनी के हैं. इन दस्तावेज़ों की जांच पड़ताल दुनियाभर के क़रीब सौ मीडिया संस्थान कर रहे हैं. पिछले साल के पनामा पेपर्स की तर्ज़ पर ये दस्तावेज़ जर्मन अख़बार ज़्यूड डॉयचे त्साइटुंग ने हासिल किए थे. दस्तावेज़ों की जांच इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ़ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने की है.

बहुत जल्द पता चलेगा कि कैसे अमीरों ने अपने कैश और सौदों को छुपाया

दरअसल रविवार को जो बात सामने आई है वो पूरे प्रकरण का बहुत ही छोटा सा हिस्सा है और इस पूरे सप्ताह सैकड़ों लोगों और कंपनियों की कर और वित्तीय जानकारियां उजागर की जाएंगी. बहुत जल्द पता चलेगा कि कैसे राजनेताओं, बहुराष्ट्रीय कंपनियों, सेलेब्रिटी और हाई प्रोफ़ाइल लोगों ने ट्रस्ट, फाउंडेशन, काग़ज़ी कंपनियों के ज़रिए कर विभाग से अपने कैश और सौदों को छुपाया.

ऐपलबी देती है विदेश में पूंजी निवेष की सलाह

ऐपलबी दुनियां की सबसे बड़ी ऑफ़शोर कंपनी है जो कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और अमीरों को पूंजी निवेश पर क़ानूनी सलाह देती है. इसके कई देशों में दस कार्यालय हैं. ये कंपनी 125 साल से भी ज़्यादा पुरानी है जिसे मेजर रेगिनाल्ड ऐपलबी ने बरमूडा में शुरु किया था. 

कैसे होता है ऑफ़शोर पूंजी निवेश ?

ऑफ़शोर पूंजी निवेश का मतलब है एक ऐसा स्थान जहा किसी के अपने देश के क़ायदे क़नून नहीं चलते. इस तरह कंपनिया या लोग यहां निवेश करके या तो कर बचा लेते हैं या फिर कम कर देते हैं. इस स्थान को आम भाषा में टैक्स हेवन कहा जाता है और इंडस्ट्री की भाषा में ऑफ़शोर फ़िनेंशियल सेंटर्स कहा जाता है. ये स्थान भरोसेमंद और गुप्त रहते हैं और इनका ठिकाना अक़्सर छोटे द्वीप होते हैं जैसे बरमूडा. 

पैराडाइज़ पेपर्स लीक की रकम ब्रिटेन, जापान और फ्रांस के साझा जीडीपी के बराबर

द बोस्टन कंसल्टिंग कंपनी के मुताबिक़ ऑफ़शोर में क़रीब 10 हज़ार अरब डॉलर का निवेश है जो ब्रिटेन, जापान और फ्रांस के साझा जीडीपी के बराबर है. ये रकम इससे ज़्यादा भी हो सकती है.

ऑफ़शोर पूंजी निवेश ग़लत कार्यों के लिए रास्ते खोलता है?

आलोचकों का कहना है कि ऑफ़शोर पूंजी निवेश ग़लत कार्यों के लिए रास्ते खोलता है. उनका कहना है कि अगर अमीर लोग कर देना बंद कर दें तो भार ग़रीबों पर ही पड़ेगा. 

ऑफ़शोर के बचाव में ये हैं तर्क

ऑफ़शोर फ़ाइनेंशियल सेंटर का तर्क है कि अगर वो नहीं होते तो सरकार कितना टैक्स लगा सकती है, इस पर कोई बाधा ही नहीं होती. वो कहते हैं कि वो कैश के ढेर पर नहीं बैठे हैं बल्कि दुनियाभर में पैसों के लेन-देन के एजेंट के तौर पर काम करते हैं.

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