Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. क्या होता है महिलाओं में ख़तना-प्रथा? रोकने के लिये मामला पहुंचा पीएम मोदी के पास

क्या होता है महिलाओं में ख़तना-प्रथा? रोकने के लिये मामला पहुंचा पीएम मोदी के पास

महिलाओं या बच्चियों का खतना धार्मिक कारणों से होता है और वो भी सुन्न किए बिना। अंग्रेजी में इसे एफ़जीएम यानी फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन कहते हैं।

Edited by: India TV News Desk
Updated : August 23, 2017 8:49 IST
khatna
khatna

नई दिल्ली: महिलाओं में ख़तना एक ऐसी प्रथा है, जिसका एकमात्र उद्देश्य महिलाओं की यौन आजादी पर पाबंदी लगाना है। इस कुप्रथा को रोकने के लिए एक महिला सालों से संघर्ष कर रही है। बोहरा समुदाय की मासूमा रानाल्वी ने देश के प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक खुला ख़त लिखकर इस कुप्रथा को रोकने की मांग की है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना यानी फीमेल जेनिटल म्यूटलेशन (खतना) परंपरा पर सुनवाई करने का फैसला लिया। इस मामले में चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली बेंच ने भारत सरकार, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। महिलाओं या बच्चियों का खतना धार्मिक कारणों से होता है और वो भी सुन्न किए बिना। अंग्रेजी में इसे एफ़जीएम यानी फीमेल जेनाइटल म्यूटिलेशन कहते हैं। ('मेरे आंसुओं को कमज़ोरी ना समझना', MLA की फटकार के बाद लेडी IPS का जवाब)

इस दर्द से गुजर चुकीं साहियों की संस्थापक और पेशे से पत्रकार आरिफ़ा जौहरी बताती हैं कि जब 7 साल की थी तब उन्हें मुंबई के भिंडी बाजार में ले जाया गया था। उनकी मां उन्हें यह कहकर ले गई थी कि उसके साथ कुछ होगा जिसमें केवल एक मिनट का समय लगेगा। इस एक मिनट में आरिफ़ा की ख़तना कर दी गई। इस तरह की परंपरा बोहरा समुदाय में आम है। 29 वर्षीय आरिफ़ा ने खतना के विरोध में मुहिम शुरू का है। आरिफ़ा का कहना है कि बोहरा समुदाय में महिलाओं की ख़तना करने की प्रक्रिया बहुत ही भयावह होती है।

विश्वभर में कम से कम 20 करोड़ ऐसी लड़कियां और महिलाएं हैं जिनका खतना किया गया है। इनमें से आधी लड़कियां और महिलाएं मिस्र, इथोपिया और इंडोनेशिया में रह रही हैं।  संयुक्त राष्ट्र के बाल कोष यूनीसेफ की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

जिन 20 करोड़ महिलाओं का खतना कराया गया है उनमें से चार करोड़ 40 लाख लड़कियों की आयु 14 वर्ष या उससे भी कम है।  यूनीसेफ ने इस प्रथा को बाल अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन करार देते हुए कहा कि यह प्रथा जिन 30 देशों में सर्वाधिक फैली हुई है वहां अधिकतर लड़कियों का खतना उनके पांचवें जन्मदिन से पूर्व ही करा दिया जाता है।  

क्या होता है ख़तना?

मुस्लिम बोहरा समुदाय में छोटी बच्चियों के गुप्तांग (clitoris) की सुन्नत की यह प्रक्रिया औरतों के लिए एक अभिशाप है। इस प्रक्रिया में औरतें छोटी बच्चियों के हाथ-पैर पकड़ते हैं और फ़िर clitoris पर मुल्तानी लगाकर वह हिस्सा काट दिया जाता है। औरतों की ख़तना का यह रिवाज अफ्रीकी देशों के कबायली समुदायों में भी प्रचलित है लेकिन अब भारत में भी ये शुरू हो गया है। अफ्रीका में यह मिस्र, केन्या, यूगांडा जैसे देशों में सदियों से चली आ रही है। ऐसा कहा जाता है कि ख़तना से औरतों की मासित धर्म और प्रसव पीड़ा को कम करती है। ख़तना के बाद बच्चियां दर्द से कईं महीनों तक जूझती रहती हैं और कई की तो संक्रमण फ़ैलने के कारण मौत भी हो जाती है।

क्या है इसका दुष्परिणाम?

इसका सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि इसे करवाने से शादी के बाद पति से भी सेक्स संबंध बनाने में लड़की की रूचि लगभग ख़त्म हो जाती है। सहवास के दौरान उसे बहुत तकलीफ होती है जिस वजह से उसे इसमें कोई आनंद नहीं आता है।

अगली स्लाइड में पढ़ें अभी भी 29 देशों में जारी है प्रथा.......

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement