नई दिल्ली: निर्भया के दोषियों का फांसी का समय नजदीक आ गया है। कभी भी इन दरिंदो को फांसी के तख्ते पर लटका दिया जाएगा। फांसी की प्रकिया क्या होती है, फांसी तक पहुचने तक दोषी के पास क्या अधिकार होते है, इन अधिकार के खत्म होने के बाद क्या होता है, फांसी देने से पहले जेल प्रसाशन क्या तैयारियां करता है एक-एक डिटेल आज इंडिया टीवी आपको बताने जा रहा है। जेल में किस तरीके से इन्हें फांसी दी जाएगी जेल मेन्युल में क्या लिखा है, फांसी घर कैसा होता है इन सबके बारे में हमने तिहाड़ जेल के दो पूर्व अफसरों से डिटेल में बात की।
तिहाड़ के पूर्व डीजी अजय कश्यप से जब पूछा गया कि सबके मन में और खासतौर पर निर्भया के मन में सवाल है कि इतने जघन्य अपराध के बावजूद फांसी देने में इतना लंबा 7 सालो का समय क्यों लग रहा है? इसपर उन्होनें कहा कि मौत की सजा एक ऐसी सजा है जिसके बाद इसमें कोई वापसी की गुंजाइश नहीं होती, ऐसे में दोषी को उसका एक-एक अधिकार इस्तेमाल करने दिया जाता है लेकिन इसे और लंबा करने के लिए दोषी और उसके वकील कई चाल चलते है, जैसे इस केस में भी हुआ। हाईकोर्ट से फांसी की सजा का फैसला बरकरार होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू की बात हो फैसले को चैलेन्ज करने की बात हो उसमे एक साथ करने की बजाय एक-एक करके दोषी याचिका डालते है जिसमे भी काफी समय लगता है।
उन्होनें बताया कि सारे ऑप्शन खत्म होने के बाद तिहाड़ प्रसाशन दोषियों को फांसी से पहले मर्सी पिटिशनन यानि राष्ट्पति के सामने क्षमा याचिका लिखने के लिए समय देता है और निर्भया केस में भी तिहाड़ ने सभी दोषी विनय, अक्षय, मुकेश, पवन सभी को मर्सी लगाने के लिए 7 दिन का समय दिया लेकिन सिर्फ विनय शर्मा ने मर्सी याचिका लगाई जिसको दिल्ली सरकार ने खारिज करने का रिकमेंड करते हुए एलजी, एलजी ने होम मिनिस्ट्री और अब होम मिनिस्ट्री ने इसे राष्ट्पति के पास भेज दिया है, अब राष्ट्रपति अपना फैसला तिहाड़ को भेजेंगे। अगर राष्ट्रपति इस मर्सी को खारिज करते है तो तिहाड़ सजा सुनाने वाली कोर्ट जाएगा और दोषी के खिलाफ डेथ वारन्ट जिसे ब्लैक वारन्ट कहा जाता है वो जारी कराएगा और फांसी की तारीख तय करेगा। ब्लैक वारन्ट जारी कराने के दिन से फांसी के दिन में 15 दिन का समय होता है ये 15 दिन कैदी की कई तरह की जांच के लिए फांसी के इंतजाम के लिए किया जाता है इसमें परिवार के लोगों को आखिरी बार दोषी से मिलवाया जाता है।
पूर्व डीजी ने बताया कि कोर्ट चाहे तो विनय शर्मा की मर्सी खारिज होने के बाद सभी दोषियों का ब्लैक वारन्ट जारी कर सकता है क्योकि समय दिए जाने के बाद मुकेश, पवन, अक्षय ने मर्सी नहीं लगाई लेकिन कोर्ट इन्हें मर्सी लगाने का मौका दे भी सकता है। उन्होनें कहा कि जहां तक बात जल्लाद के होने न होने की है उससे कोई फर्क नहीं पड़ता फांसी रेयर केस में दी जाती है अब से पहले आखिरी फांसी 2013 में अफजल गुरु को दी गई थी उससे पहले 1989 में। इसलिए जल्लाद की परमानेंट जरूरत नहीं है, इसके लिए रस्सी कितनी होनी चाहिए ये बक्सर से मंगाई जाती है डेथ वारन्ट जारी होने के बाद।
मान लीजिए सभी का ब्लैक वारन्ट जारी हो जाता है तो क्या होगा। तिहाड़ जेल नंबर 3 में एक ही फांसी घर है, तिहाड़ के पूर्व पीआरओ सुनील गुप्ता की माने तो इस जेल में चाहे तो एक एक करके फांसी दी जा सकती है और चाहे तो सबको एक साथ भी लटकाया जा सकता है उसमे इतना स्पेस होता है। फांसी गर्मी में सुबह 6 बजे और सर्दी में सुबह 7 बजे दी जाती है, फांसी वाले दिन सुबह दोषी को चाय दी जाती है वो नाश्ता करना चाहे तो दिया जाता है फिर उसे नहाने देते है फिर उसे काले कपड़े पहनाते है, फांसी रुम में ले जाते है चेहरे पर काला थैला लटका देते है, पैरो में रस्सी बांध देते है।
इसके बाद फांसी रुम में सिर्फ एसडीएम, सुप्रिटेंडेंट और जल्लाद होता है, एसडीएम उसकी विल के बारे में पूछता है अपनी प्रॉपर्टी अगर है तो किसे देनी है उसके बाद सुप्रिटेंडेंट के इशारे पर जल्लाद लीवर खिचता है और दोषी लटक जाता है, नीचे करीब 12 फीट की जगह होती है, करीब 2 घंटे लटके रहने देते है फिर डॉक्टर चैक करता है मृत घोषित करता है, सरकार चाहे तो बॉडी पोस्टमोर्टम के बाद परिवार को दी जाती है न चाहे तो नही देते। उम्मीद है अब जल्द फैसला राष्ट्पति के पास से आने के बाद कोर्ट ब्लैक वारन्ट जारी करेगा और उसके 15 दिन बाद निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दिया जाएगा।