नई दिल्ली: जोधपुर के एक कोर्ट ने सलमान खान को काला हिरण मामले में दोषी करार देते हुए 5 साल के सजा का ऐलान किया। इस मामले में सलमान के अलावा सैफ अली खान, तब्बू, नीलम और सोनाली बेंद्रे भी आरोपी थे लेकिन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है। सलमान खान को सजा दिलाने में बिश्नोई समुदाय ने अहम भूमिका निभाई है। आइये हम बताते हैं कौन हैं बिश्नोई समुदाय...
बिश्नोई समाज को दुनिया का अकेला ऐसा समाज या धर्म माना जाता है जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रकृति की रक्षा करना है। बिश्नोई धर्म करीब 500 वर्ष पुराना है और आज करीब 10 लाख लोग इसके अनुयायी हैं। इस समुदाय की स्थापना भगवान जंबेश्वर ने की थी और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था। कहते हैं कि भगवान जंबेश्वर धरती पर मौजूद हर किसी चीज के रक्षक हैं। कहते हैं कि सात वर्ष की उम्र तक जंबेश्वर ने एक भी शब्द नहीं बोला था। उनके अजीबो-गरीब व्यवहार को देखकर उनके माता-पिता ने एक पुजारी को बुलाया और पुजारी ने उन्हें 64 दीए जलाने के लिए कहा। लेकिन कई प्रयासों के बावजदू एक भी दीया नहीं जल सका। इसके बाद जंबेश्वर ने कुंए से पानी भरा और उस पानी से दीयों को जलाया।
इसके बाद उन्होंने अपने अनुयायियों को बुलाया और उन्हें बताया कि अब उन्हें एक नए विश्वास को मानना पड़ेगा जिस पर उनका पूरा जीवन आधारित होगा। इसके साथ ही उन्होंने जिंदगी जीने के 29 सिद्धांत बताए। इन 29 सिद्धांतों के हिंदी शब्द बीस और नोई यानी नौ को मिलाकर ही बिश्नोई शब्द का निर्माण हुआ है। इनमें 29 सिद्धांतों में सबसे अहम सिद्धांत है, 'प्राण दया' यानी हर जीवित वस्तु के लिए दया और प्यार का भाव होना। पिछले करीब 500 वर्षों से यह समुदाय इन्हीं सिद्धांतों को अपनी जिंदगी मानकर चल रहा है। आप बिश्नोई समाज की महिलाओं को काले हिरण या फिर चिंकारा के बच्चों को अपना दूध पिलाते हुए भी देख सकते हैं।
बिश्नोई समुदाय के लिए पेड़ सबसे पवित्र चीज हैं और इससे जुड़ी हर चीज उनके लिए अहम हो जाती है। इसलिए वे अपने गांवों में मौजूद पेड़-पौधों और जंगलों से जुड़ी हर प्राकृतिक चीज जैसे काला हिरण, चिंकारा के अलावा पक्षी जैसे मोर आदि की रक्षा करना अपना कर्तव्य समझते हैं। बिश्नोई न सिर्फ जानवरों को शिकार से बचाते हैं बल्कि वे उनकी रक्षा के लिए हर सीमा को पार करने को तैयार रहते हैं। जानवर उनके खेतों में आसानी से चर सकते हैं, उनके घरों में जानवरों के लिए खाना और पानी तक की व्यवस्था होती है। इतना ही नहीं पक्षियों के लिए पेड़ों पर पानी से भरे बर्तन भी लटका कर रखे जाते हैं।