छत्तीसगढ़ के सुगमा में चिंतागुफा के पास हुए नक्सली हमले में 25 जवानों की मौत से एकबार फिर नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की रणनीति पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हम आपको इस नक्सल अटैक की पूरी कहानी से अवगत कराने जा रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे नक्सलियों ने CRPF जवानों को अपना निशाना बनाया।
कैंप से सुबह 6 बजे CRPF के जवान निकले
सोमवार 24 अप्रैल की सुबह साढ़े 6 बजे CRPF के बुरकापाल कैंप से 74 वीं बटालियन की C और D कंपनी के 50-50 जवानों की दो टुकड़ी चिंतागुफा की ओर निकली।
ज्यादातर जवान पेड़ों की छांव में बैठे थे
बुरकापाल में सड़क निर्माण हो रहा है। इस साइट पर काम कर रहे मजदूरों और कर्मचारियों को सुरक्षा CRPF मुहैया कराती है। दोपहर में ज्यादातर जवान पेड़ों के नीचे छांव में सुस्ता रहे थे। उन्हें इस बात की जरा भी भनक नहीं थी कि जहां वे ड्यूटी कर रहे हैं वहां आसपास भारी संख्या में नक्सलियों IED बिछा रखी थी।
सबसे पहले IED ब्लास्ट
नक्सलियों ने सबसे पहले IED ब्लास्ट किया। इससे धुएं का गुबार चारों तरफ फैल गया। जवानों को संभलने का भी मौका नहीं मिला और घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। धुएं का फायदा उठाकर नक्सलियों ने CRPF के जवानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों पर पुलिस को शक
CRPF जवानों के साथ कुछ गांववाले भी चल रहे थे। पुलिस को शक है कि इन ग्रामीणों को पहले से ही हमले की भनक लग गई थी। शक इस बात से और गहरा हो गया कि हमले से ठीक पहले ये गांववाले CRPF की टुकड़ी से अलग हो गए। ग्रामीणों के निकले के बाद ही नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया।
नक्सलियों का दुस्साहस
जिस जगह यह हमला किया गया वह चिंतागुफा थाने से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर है। CRPF का बुरकापाल कैम्प भी वहां से तकरीबन 2 किलोमीटर दूर है। दोरनापाल से लेकर जगररगुंडा मार्ग पर हर 5 किलीमीटर की दूरी पर थाना या चौकी है। इसके बावजूद नक्सलियों ने भरी दुपहरी हमले का दुस्साहस किया।
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