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जानें, कौन थे 1965 की जंग में पाकिस्तान एयरफोर्स को तबाह करनेवाले अर्जन सिंह

अर्जन सिंह 1964 से लेकर 1969 तक पूरे पांच साल भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष रहे। आम तौर पर किसी भी भारतीय वायु सेनाध्यक्ष का कार्यकाल ढाई से तीन साल का रहता है, लेकिन वो एकमात्र वायुसेनाध्यक्ष हैं, जिनका कार्यकाल पांच साल का रहा।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 16, 2017 21:07 IST
Arjan singh- India TV Hindi
Image Source : PTI Arjan singh

नई दिल्ली:  भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह को आज रात निधन हो गया। 98 साल के अर्जन सिंह का जन्म 15 अप्रैल 1919 को पाकिस्तान के लायलपुर में हुआ था। उनके पिता ब्रिटिश सेना में लांस दफादार थे। 1939 में उन्हें एयरफोर्स में पायलट अफसर बनाया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बर्मा के अराकान प्रान्त में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए distinguished flying cross से नवाजा गया।

भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह को 1965 के भारत-पाक युद्ध में वायु सेना की शानदार सफलता का कर्णधार माना जाता है। 

अर्जन सिंह 1964 से लेकर 1969 तक पूरे पांच साल भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष रहे। आम तौर पर किसी भी भारतीय वायु सेनाध्यक्ष का कार्यकाल ढाई से तीन साल का रहता है, लेकिन वो एकमात्र वायुसेनाध्यक्ष हैं, जिनका कार्यकाल पांच साल का रहा।

1965 के युद्ध में भारतीय वायु सेना के नैट फाइटर विमानों ने पाकिस्तान के सात अमेरिकी सैबर विमान मार गिराए थे। पूरे युद्ध में भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के 73 विमानों को मार गिराया था, जबकि हमारी वायुसेना के 59 विमानों को पाकिस्तान ने मार गिराया था। जंग में पाकिस्तान की ये हालत हो गई थी कि उसके विमान कम पड़ने लगे और उसे चीन, ईरान, इराक, इंडोनेशिया से विमान मंगवाने पड़े।

1970 में अर्जन सिंह भारतीय वायु सेना से रिटायर हुए। उन्हें भारतीय राजदूत बनाकर स्विटजरलैंड और बाद में केन्या भेजा गया। 1989 में उन्हें एक साल के लिए दिल्ली का लेफ्टनैंट गवर्नर बनाया गया।

उनके शानदार काम के लिए जनवरी 2002 में तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने उन्हें मार्शल ऑफ द इंडियन एयर फोर्स के सम्मानित पद से नवाजा। ये फाइव-स्टार रैंक का पद है, जो आम तौर पर थल सेना में फील्ड मार्शल को दिया जाता है। यहां बता दें कि सैम मानेकशॉ को भारतीय थल सेना का फील्ड मार्शल 1973 में बनाया गया था। उन्हें 1971 के भारत-पाक युद्ध में भारत की अभूतपूर्व विजय के लिए बनाया गया था। 

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