नई दिल्ली। पिछली बार के बजट में सरकार ने जिस ‘किसान रेल’ की घोषणा की थी उसके तहत अबतक देशभर में 18 रूट पर किसान रेल शुरू की जा चुकी है और इसके जरिए कम परिवहन खर्च में किसानो के पैदा किए गए फल और सब्जियां देश के बड़े शहरों की मंडियों में पहुंच रहे हैं। 2020-21 के बजट में घोषणा के बाद पिछले साल 7 अगस्त पहले रूट पर किसान रेल चलाई गई थी और अबतक कुल 18 रूट पर यह रेलगाड़ी दौड़ रही है।
पिछले साल 7 अगस्त को देवलाली से दानापुर के बीच किसान रेल की शुरुआत हुई थी, उसके बाद 9 सितंबर को अनंतपुर से दिल्ली के आजादपुर के लिए, 19 सितंबर को यशवंतपुर से दिल्ली के निजामुद्दीन के लिए, 14 अक्तूबर को नागपुर से दिल्ली के आजादपुर के लिए, 28 अक्तूबर को छिंदवाड़ा से हावड़ा के लिए, 29 अक्तूबर को संगोला से हावड़ा, 21 नवंबर को संगोला से शालीमार, 24 नवंबर को इंदौर से गुवाहाटी, 5 दिसंबर को रतलाम से गुवाहाटी, 27 दिसंबर को इंदौर से अगरतला, 31 दिसंबर को जालंधर से जैरनिया, 5 जनवरी को नगरसोल से गुवाहाटी, 7 जनवरी को नगरसोल से चैतपुर, 10 जनवरी को नगरसोल से जलपाईगुड़ी, 11 जनवरी को नगरसोल से नौगाचिया, 13 जनवरी को नगरसोल से फटुहा, 19 जनवरी को नगरसोल से भटिंडा और 20 जनवरी को नगरसोल से मालदा टाउन रूट पर किसान रेल की शुरुआत हुई है।
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किसान रेल के जरिए किसानों को फल और सब्जियों के परिवहन पर 50 प्रतिशत की छूट दी जाती है और इन रेलगाड़ियों के टाइम टेबल का सख्ती से पालन होता है। अबतक इन रेलगाड़ियों के कुल 157 फेरे हो चुके हैं और इनके जरिए 49000 टन से ज्यादा प्याज, टमाटर, आलू, संतरा, अनार, केला, गाजर, शिमला मिर्च और अन्य सब्जियों का ट्रांसपोर्ट किया जा चुका है।