नई दिल्ली. किसान आंदोलन में अब सियासत का तड़का भी जमकर लग रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों को लोग अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए किसान आंदोलन में पहुंच रहे हैं। अब शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत भी किसान आंदोलन में शिरकत करने पहुंचने वाले हैं। संजय राउत आज किसान नेताओं से मिलने के लिए दोपहर 1 बजे गाजीपुर बॉर्डर पहुंच रहे हैं।
पढ़ें- यूपी में रफ्तार का कहर! ड्यूटी कर रहे PAC जवानों पर चढ़ा कंटेनर
संजय राउत ने ट्वीट कर बताया कि वो आज गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने आ रहे हैं। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, "महाविकास अघाड़ी सरकार ने किसानों के हित के लिए कई फैसले लिए हैं। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे संकट के समय किसानों के साथ खड़े हैं। किसानों को होने वाली परेशानी और उनके आंसू परेशान करने वाले हैं। उद्धव ठाकरे की तरफ से मिली सूचना के बाद आज मैं गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों से 1 बजे मिलूंगा। जय जवान- जय किसान।"
पढ़ें- IMD Weather Forecast: ठंड में भिगाएगी बारिश? मौसम विभाग ने जताया ये अनुमान
किसान छह फरवरी को करेंगे तीन घंटे का राष्ट्रव्यापी चक्का जाम
किसानों ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर के नजदीक बैठक की, जिसमें 5 से 6 मुद्दों पर चर्चा की गई और कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी को दिन के 12 बजे से 3 बजे तक पूरे देशभर में चक्का जाम करने का ऐलान किया। संयुक्त किसान मोर्चा ने पुलिस पर आरोप लगाया कि प्रदर्शन में आए नौजवानों को परेशान किया जा रहा है, बेवजह उनकी पिटाई और गिरफ्तारी की की जा रही है।पढ़ें- केंद्र का बजट यूपी की बढ़ाएगा रफ्तार, मिलेगा रोजगार
मोर्चा के अनुसार, 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के बाद से किसानों के कई ट्रैक्टरों, वाहनों को जब्त किया गया है। साथ ही बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है। धरना स्थल पर बिजली, पानी की आपूर्ति और इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। इन सबके विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा ने फैसला लिया गया है कि 6 फरवरी को देशभर की मुख्य सड़कों पर दिन के 12 से 3 बजे तक कोई गाड़ी नहीं चलने दी जाएगी।
पढ़ें- उत्तर प्रदेश में दस IAS अधिकारियों को नई जिम्मेदारी
किसान संगठनों और सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। 11वीं बैठक में सरकार की तरफ से नए कृषि कानूनों को एक से डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की लिखित गारंटी और इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अडिग हैं। आंदोलनकारी किसानों का कहना है कि 26 जनवरी को लालकिले पर हुई घटना में इनके लोग नहीं थे, बल्कि बाहर से आए लोग थे जो घटना को अंजाम देने के बाद कहां चले गए, किसी को पता नहीं है। वे बाहरी लोग किसानों को बदनाम करने के लिए आए थे और पहले से इसकी साजिश रची गई थी।