नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में दर्जनों किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान संगठनों और सरकार के बीच अबतक हुई बातचीत में कोई हल नहीं निकला है। नाराज किसानों को साधने के लिए बीजेपी ने अब नया प्लान बनाया है। भाजपा की इस रणनीति की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभालेंगे। पीएम नरेंद्र मोदी देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती 25 दिसंबर पर किसानों से संवाद करेंगे। इस दौरान भारतीय जनता पार्टी यूपी में 2500 से ज्यादा जगहों पर किसान संवाद कार्यक्रम का आयोजन करेगी।
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किसान संवाद कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जमीनी लेवल पर काम करना भी शुरू कर दिया है। शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह और यूपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने किसान संवाद कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पार्टी के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ बैठक की। इसके अलावा उन्ंहोंने गोरखपुर, काशी, ब्रज व पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्षों व विधायकों के साथ वर्चुअल माध्यम से बैठक कर संवाद भी किया। बैठक का संचालन भाजपा के प्रदेश महामंत्री गोविन्द नारायण शुक्ला ने किया।
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राधामोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार गांव, गरीब, किसान को समर्पित सरकार है। उन्होंने कहा कि देश में किसानों के हितों में जितना कार्य मोदी सरकार कर रही है, उतना पहले हुआ होता है तो आज किसानों की स्थिति कहीं बेहतर होती। उन्होंने नए कृषि कानूनों को लेकर विपक्ष द्वारा भ्रम व झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी रूप दिया, इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए है बल्कि उन्हें नए अधिकार और नए अवसर भी मिले हैं।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि नए कृषि सुधारों में किसानों को न केवल अनेक सुविधाएं प्राप्त होगी बल्कि उन्हें नये अधिकार व अवसर भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष केवल भ्रम व साजिश की राजनीति कर रहा है, यह स्पष्ट किया जा चुका है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था जारी रहेंगी,नई व्यवस्था से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प व सहूलियते प्राप्त हो सकेगी। सिंह ने कहा, ‘‘विपक्ष के लिए किसान वोट बैंक से अधिक कभी कुछ नहीं रहे जबकि हमारे लिए किसान हमारी रीति-नीति व विश्वास का केन्द्र बिन्दु है।''