Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. Kisan Andolan: नरेश टिकैत का बड़ा बयान- पीएम की बातों का सम्मान करते हैं

Kisan Andolan: नरेश टिकैत का बड़ा बयान- पीएम की बातों का सम्मान करते हैं

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि हम नहीं चाहते सरकार या संसद झुके लेकिन हम किसानों का आत्म सम्मान भी बचाएंगे। 26 जनवरी को हुई हिंसा साजिश का परिणाम थी, इसकी बड़े पैमाने पर जांच की जानी चाहिए।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 31, 2021 15:11 IST
Kisan Andolan Farmer leader Naresh tikait says Violence on January 26 was a result of conspiracy Kis- India TV Hindi
Image Source : PTI भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि हम नहीं चाहते सरकार या संसद झुके लेकिन हम किसानों का आत्म सम्मान भी बचाएंगे। 26 जनवरी को हुई हिंसा साजिश का परिणाम थी, इसकी बड़े पैमाने पर जांच की जानी चाहिए। 

नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस पर किसान संगठनों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के बाद से सियासत भी गर्मा गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वार्ता संबंधी टिप्पणी के बाद किसान नेता नरेश टिकैत के बाद भी बयान सामने आया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम पीएम मोदी की कही गई बातों का सम्मान करते हैं। उनकी गरिमा की रक्षा की जाएगी। 

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि हम नहीं चाहते सरकार या संसद झुके लेकिन हम किसानों का आत्म सम्मान भी बचाएंगे। 26 जनवरी को हुई हिंसा साजिश का परिणाम थी, इसकी बड़े पैमाने पर जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम कभी भी किसी को तिरंगे का अपमान नहीं करने देंगे, इसे हमेशा ऊंचा रखेंगे। सरकार को हमारे लोगों को रिहा करना चाहिए और बातचीत के लिए एक मंच तैयार करना चाहिए। आशा है कि एक मध्य मार्ग मिल जाएगा।

पढ़ें- खेती को आधुनिक बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध्, प्रयास जारी रहेंगे: पीएम मोदी

वहीं राकेश टिकैत ने कहा कि हमारे जो लोग जेल में बंद हैं वो रिहा हो जाएं फिर बातचीत होगी। प्रधानमंत्री ने पहल की है और सरकार और हमारे बीच की एक कड़ी बने हैं। किसान की पगड़ी का भी सम्मान रहेगा और देश के प्रधानमंत्री का भी।

पढ़ें- Kisan Andolan: बॉर्डर खाली कराने को लेकर 42 गांवों की महापंचायत, टेंशन बढ़ी

राकेश टिकैत की आंखों में आंसू देखकर फिर जुटे किसान, आंदोलन में आयी नयी गति

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत के आंसुओं से वह भावनात्मक खिंचाव उत्पन्न हुआ जिसकी कल्पना उन्होंने भी नहीं की थी। इससे उस किसान आंदोलन में फिर से गति आ गई जो गणतंत्र दिवस समारोह में हिंसा होने के बाद खो गई थी। राकेश टिकैत किसी समय में दिल्ली पुलिस में कान्स्टेबल थे। उन्होंने चुनावों में भी हाथ आजमाया और वर्षों तक किसान नेता रहे। हालांकि भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता टिकैत ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बाहर निकलकर राष्ट्रीय सुर्खियों में जगह बनायी और उन्होंने वर्तमान समय में सबसे शक्तिशाली किसान नेता के रूप में खुद को स्थापित किया है।

पढ़ें- Tourist Highway में बदलेगी लेह से कारगिल की सड़क, जानिए क्या है सरकार का प्लान

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ गत दो महीने से बड़ी संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं जिसमें सिंघू, गाजीपुर और टिकरी बार्डर शामिल हैं। इन किसानों में अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। अब, ध्यान दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर स्थानांतरित हो गया है जहां किसान हजारों की संख्या में अपनी लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। यह आंदोलन दो दिन पहले कमजोर पड़ता दिखायी दे रहा था। दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के एक दिन बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि किसान आंदोलन खत्म हो रहा है, उनका मनोबल टूट गया है और कई किसान घर लौट गए।

पढ़ें- Kisan Andolan: गणतंत्र दिवस पर हिंसा को लेकर पीएम की टिप्पणी के बाद नरेश टिकैत का बड़ा बयान

बुधवार रात में गाजीपुर में माहौल तनावपूर्ण था। गाजियाबाद प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को ‘‘अल्टीमेटम’’ जारी किया और उन्हें दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के एक हिस्से से हटने को कहा। जब वहां सुरक्षा कड़ी की गई और बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई तो ऐसा लगा कि उन्हें वहां से जबर्दस्ती हटाया जाएगा लेकिन संवाददाताओं बात करते हुए टिकैत रो पड़े। उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन समाप्त नहीं किया जाएगा। किसानों के साथ अन्याय हो रहा है।’’ यहां तक​कि उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने की भी धमकी दे दी। जल्द ही यह पता चल गया कि 51 वर्षीय टिकैत जो 28 नवंबर से गाजीपुर सीमा पर बीकेयू समर्थकों का नेतृत्व कर रहे हैं वह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं।

सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखने के उनके आह्वान ने एक गहरा भावनात्मक माहौल उत्पन्न किया। उनका वीडियो कई सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित हुआ। इसके बाद उनके भाई नरेश टिकैत ने शुक्रवार को अपने गृह नगर मुजफ्फरनगर में एक 'महापंचायत' का आयोजन किया, जहां हज़ारों किसान आंदोलन का समर्थन करने के लिए एकत्रित हुए। गाजीपुर बॉर्डर पर भीड़ बृहस्पतिवार की रात घटकर अगले 12 घंटे में कई गुना बढ़ गई और अगले 24 घंटों में 5,000 से अधिक हो गई। किसान आंदोलन न केवल पुनर्जीवित हुआ बल्कि उसमें नयी ऊर्जा आ गई।

टिकैत जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर केंद्र के साथ बात कर रहे प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहे हैं। वह दिल्ली में 26 जनवरी की हिंसा के आरोपियों में से एक हैं जिसमें एक किसान की मौत भी हो गई थी जब उसका ट्रैक्टर पलट गया था। साथ ही उक्त हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों भी घायल हुए थे। टिकैत ने साजिश के आरोपों से इनकार किया है और हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने हिंसा के लिए ट्रैक्टर परेड में घुस आये घुसपैठियों को दोषी ठहराया है। दिल्ली पुलिस द्वारा उन्हें आरोपी बनाया जाना उनके लिए शायद अजीब है, जिन्होंने बल में एक हेड कांस्टेबल के रूप में काम किया है। लेकिन उन्होंने 1992-93 में तब बल छोड़ दिया था जब उन्हें अपने पिता महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व वाले किसान आंदोलन से निपटना पड़ा था।

चार जून, 1969 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुज़फ़्फ़रनगर जिले के सिसौली गाँव में जन्मे राकेश टिकैत दिल्ली पुलिस छोड़ने के बाद बीकेयू में शामिल हो गए थे और मई 2011 में अपने पिता की कैंसर से मृत्यु के बाद एक किसान नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के एक बड़े नेता था जिन्हें किसानों का ‘‘मसीहा’’ कहा जाता था। उन्हें क्षेत्रीय बालियान खाप (उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में एक सामाजिक और प्रशासनिक व्यवस्था) के 'चौधरी' का पद का मिला था। खाप की परंपरा के अनुसार, यह उपाधि उनके बड़े बेटे और राकेश टिकैत के बड़े भाई नरेश टिकैत को मिली।

मेरठ विश्वविद्यालय से बीए स्नातक राकेश टिकैत को बीकेयू का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। उनके दो छोटे भाई हैं - सुरेंद्र, जो एक चीनी मिल में प्रबंधक के रूप में काम करते हैं और नरेंद्र जो कृषि में लगे हुए हैं। दो बेटियों और एक बेटे के पिता राकेश टिकैत के, किसानों के मुद्दों पर कई सरकारों के साथ मतभेद रहे हैं। उन्होंने चुनावों में भी हाथ आजमाया लेकिन दोनों बार हार गए। उन्होंने 2007 में, एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुजफ्फरनगर में खतौली निर्वाचन क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा। 2014 में, उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (रालोद) के टिकट पर अमरोहा जिले से लोकसभा चुनाव लड़ा।

2014 के चुनावों से पहले, टिकैत ने 4.25 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, जिसमें 10 लाख रुपये नकद और 3 करोड़ रुपये से अधिक की भूमि के साथ 10.95 लाख रुपये की देनदारियां शामिल थीं। उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ तीन आपराधिक मामले लंबित रहने की भी घोषणा की थी। ये मामले उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर और मध्य प्रदेश के अनूपपुर में दर्ज किए गए थे। नए कृषि कानूनों को लेकर केंद्र के साथ गतिरोध के बीच गाजीपुर सीमा पर जब टिकैत की आंखों में आंसू आये तो इससे उनके समर्थक भी भावुक हो गए। ग्रामीण भावनाओं से अभिभूत होकर, बच्चों सहित पानी, घर का बना भोजन और छाछ लेकर प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे। टिकैत ने घोषणा की थी कि वह तभी पानी पीएंगे जब किसान इसे लाएंगे क्योंकि स्थानीय प्रशासन ने विरोध स्थल पर पानी के टैंकरों को रोक दिया था। (भाषा)

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement