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नागरिकों के मूल अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले केशवानंद भारती का निधन, जानिए कौन थे वे

एडेनर मठ के शंकराचार्य और आम भारतीय के मौलिक अधिकारों के लिए इंदिरा सरकार के खिलाफ संवैधानिक लड़ाई लड़ने वाले केशवानंद भारती का रविवार को निधन हो गया।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: September 06, 2020 9:07 IST
Kesavananda Bharati- India TV Hindi
Image Source : FILE Kesavananda Bharati

एडेनर मठ के शंकराचार्य और आम भारतीय के मौलिक अधिकारों के लिए इंदिरा सरकार के खिलाफ संवैधानिक लड़ाई लड़ने वाले केशवानंद भारती का रविवार को निधन हो गया। केशवानंद भारती के प्रयासों के चलते ही 1973 में सर्वोच्च न्यायालय में संपत्ति के अधिकार मामले में संविधान के तहत बुनियादी अधिकारों को परिभाषित करने में मदद मिली। उत्तर केरल के कासरगोड स्थित उनके आश्रम में आज केशवानंद भारती का निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।

भारती को संविधान का रक्षक माना जाता है। संविधान (29 वां संशोधन) अधिनियम, 1972 को चुनौती देते हुए केरल सरकार द्वारा संपत्ति जब्त करने के कदम पर भारती ने सवाल उठाया गया था। यह वह दौर था जब इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने बैंक के राष्ट्रीयकरण और प्रिवी पर्स के मामलों में सरकार के पक्ष में शासन करने के लिए संविधान के 24 वें, 25 वें, 26 वें और 29 वें संशोधन किए थे।

अद्वैत दर्शन के एक उत्साही अनुयायी भारती के लिए वरिष्ठ वकील नानी पालखीवाला ने केस लड़ा, जिसमें भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश सर्व मित्र सिकरी ने इस मामले की अध्यक्षता करने के लिए 12-जज पैनल का गठन किया। संविधान पीठ ने 7-6 फैसला सुनाया कि संसद संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती।

एडनीर मठ के शंकराचार्य वैसे तो यह मामला हार गए थे, लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया वह आज भी मिसाल है. इससे संसद और न्यायपालिका के बीच वह संतुलन कायम हो सका जो इस फैसले के पहले के 23 सालों में संभव नहीं हो सका था. और इसके साथ ही अपनी बाजी हारकर भी स्वामी केशवानंद भारती इतिहास के ‘बाजीगर’ बन गए थे.

केशवानंद भारती के मामले को एक ऐतिहासिक मामले के रूप में जाना जाता है और कई कानूनी प्रकाशकों ने उन्हें संविधान के रक्षक के रूप में प्रतिष्ठित किया।

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