कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को रोमन कैथलिक पादरी फ्रैंको मुलक्कल को सशर्त जमानत दे दी। मुलक्कल पर एक नन से कई बार रेप करने और उन पर सेक्शुअल असॉल्ट के आरोप हैं। जस्टिस राजा विजयराघवन ने मुलक्कल की जमानत मंजूर करते हुए उसे निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट अधिकारियों के समक्ष जमा करे और हर 2 हफ्ते में एक बार शनिवार के दिन जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के अलावा कभी केरल में कभी दाखिल न हो। इस मामले में आरोप-पत्र दायर किए जाने तक मुलक्कल (54) पर यह शर्तें प्रभावी रहेंगी।
बीते 3 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने मुलक्कल की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उस वक्त अदालत ने अभियोजन की यह दलील स्वीकार कर ली थी कि समाज में ऊंचा दर्जा रखने वाला यह आरोपी जमानत दिए जाने पर इस मामले के गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेगा। मुलक्कल अभी कोट्टायम जिले के पाला की एक उप-जेल में बंद है। एक मजिस्ट्रेट अदालत की ओर से अपनी न्यायिक हिरासत अवधि बढ़ाए जाने के बाद उन्होंने फिर हाई कोर्ट का रुख कर जमानत की गुहार लगाई। पुलिस ने आरोपी पादरी की जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि इस मामले में जांच अभी चल रही है।
जून में कोट्टायम पुलिस को दी गई शिकायत में नन ने आरोप लगाया था कि मुलक्कल ने मई 2014 में कुरविलांगड़ के एक गेस्ट हाउस में उनसे रेप किया और बाद में कई मौकों पर उनका यौन शोषण किया। नन ने कहा कि चर्च के अधिकारियों ने जब पादरी के खिलाफ उनकी शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया तो उन्होंने पुलिस का रुख किया। बहरहाल, मुलक्कल ने रेप और यौन शोषण के आरोपों को ‘बेबुनियाद’ और ‘मनगढ़ंत’ करार देते हुए इस बात पर जोर दिया कि नन ने आरोप इसलिए लगाए क्योंकि कैथलिक व्यवस्था ने उनकी मांगें मानने से इनकार कर दिया था। पिछले महीने मुलक्कल ने जालंधर डायोसीज का पादरी पद छोड़ दिया था।