कोच्चि: केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आदेश दिया है कि तीर्थयात्रा के मौसम में सबरीमाला मंदिर या उसके आसपास कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने पुलिस को भी तीर्थयात्रियों से उचित व्यवहार करने, उन्हें भगवान अय्यप्पा के मंत्रों का उच्चरण करने की अनुमति देने का निर्देश दिया लेकिन सबरीमाला नगर में तथा इसके आस-पास प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया।
सबरीमाला नगर में 28 नवंबर को सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के आने के बाद से बार-बार विरोध प्रदर्शन हो रहा है, जिसके तहत अदालत ने मंदिर में 10 वर्ष से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगे प्रतिबंध को हटाते हुए हर आयु की महिला को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी।
उच्च न्यायालय में न्यायाधीश पी.आर. रामचंद्रन मेनन की देवासम पीठ ने इससे पहले आई 30 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। पीठ ने राज्य सरकार से मंदिर में पूजा करने की इच्छुक 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के लिए उसकी व्यवस्थाओं की जानकारी सील बंद पैकेट में मांगी है।
अदालत ने केरल पुलिस की कार्रवाई में दखल देने से इनकार कर दिया है। केरल पुलिस ने सोमवार को धारा 144 को और आगे बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दिया है। इसके तहत चार से ज्यादा लोग एक स्थान पर इकट्ठे होकर खड़े नहीं हो सकते। न्यायालय ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया है कि मंदिर में कोई प्रदर्शन नहीं होना चाहिए।
दो महीनों का तीर्थ काल 16 नवंबर से शुरू हुआ है, तब से विरोध कर रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सहित संघ परिवार के लगभग 85 कार्यकर्ता गिरफ्तार किए जा चुके हैं। ज्यादातर लोग हालांकि जमानत पर छूट गए हैं।