नई दिल्ली: केरल में बाढ़ का पानी घटने के बाद स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां खड़ी हो रही हैं। इस स्थिति पर काबू पाने के लिए एस्टर डीएम हेल्थकेयर से जुड़े स्वयंसेवक बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटे हैं। मदद के लिए एस्टर आपदा सहायता संगठन ने फोन नंबर दिए हैं, जिस पर कोच्चि (91,9446222135 व 91,9562721642), कोट्टाकल (91,9656000601), कालीकट (91,9847520600), वायनाड (919847762080) में कॉल किया जा सकता है।
केरल में आई बाढ़ से लाखों लोग बेघर हुए हैं। 350 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। इस स्थिति से लड़ने के लिए केरल में युद्ध स्तर पर बचाव कार्य चल रहा है। एस्टर डीएम हेल्थकेयर से जुड़े वालंटियर्स भी इस राहत कार्य में जोरों से जुड़े हैं। एस्टर वालंटियर्स केरल के दूरदराज इलाकों में मेडिकल जांच शिविर लगा रहे हैं और साथ ही लोगों के बीच कपड़े, कंबल, खाना, स्वच्छ पानी बांट रहे हैं।
एस्टर आपदा साहयता संगठन में ऐस्टर डीएम हेल्थकेयर हॉस्पिटल्स की ओर से 300 से ज्यादा मेडिकल और नॉन-मेडिकल वालेंटियर्स काम कर रहे हैं। ये कार्यकर्ता फिलहाल वायनाड, एर्नाकुलम, कालीकट और मल्लपुरम इलाकों में लोकल गवर्नमेंट के साथ जुड़कर मेडिकल कैंप के जरिए दिन-रात स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं।
एस्टर डीएम हेल्थकेयर ने संस्थापक अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ आजाद मूपन ने कहा कि भीषण बाढ़ की वजह से त्रासदी के इस दुर्भाग्यपूर्ण मौके पर बाढ़ पीड़ितों की समय रहते स्वास्थ्य संबंधी मदद करने के लिए मैं वालंटियर्स संगठन का आभार जताता हूं। मुझे गर्व है कि एस्टर वालंटियर्स मजबूत इरादों और निस्वार्थ भाव के साथ बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
बाढ़ का प्रकोप खत्म होने के बाद निम्नलिखित सावधानियों का ख्याल रखें।
1-पानी के पूरी तरह से सूखने के बाद ही घर वापसी करें।
2-जमीन में दबे बिजली उपकरणों को न चलाएं। इससे शॉर्ट सर्किट, आग और बिजली के झटके का खतरा हो सकता है।
3-पीने के पानी की गुणवत्ता से समझौता न करें। तलाबों और कुओं का पानी न पिएं। बाढ़ के पानी से भीगे अनाज के इस्तेमाल से बचें। यदि कोई और उपाय न हो तो इसे ज्यादा देर तक पकाएं।
5-बुजुर्ग लोग खासकर डायबीटीज की बीमारी से पीड़ित लोग ज्यादा से ज्यादा घर पर रहें और गंदे पानी से बचें।
6-तेज बुखार, उल्टी-दस्त, खांसी, पीलिया, स्किन इंफेक्शन आदि जैसी बीमारियों को मामूली न समझें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
7-स्वयं सेवकों, स्वास्थ्य अधिकारियों और चिकित्सकों का सहयोग करें। (IANS)