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हैल्थ इंडेक्स में केरल 'नंबर-1', यूपी सबसे पीछे, जानिए- दूसरे राज्यों का हाल

नीति आयोग द्वारा जारी किए गए दूसरे हैल्थ इंडेक्स के मुताबिक केरल सबसे स्वस्थ राज्य के तौर पर उभरा है जबकि उत्तर प्रदेश को स्वास्थ्य के मामले में सबसे खराब राज्य के तौर पर पाया गया।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 25, 2019 16:43 IST
Kerala best state on health parameters, UP worst- India TV Hindi
Kerala best state on health parameters, UP worst

नई दिल्ली: स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं के मोर्चे पर पिछड़े बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा एक नई तुलनात्मक रिपोर्ट में पहले से अधिक फिसड्डी साबित हुए हैं। इसके विपरीत हरियाणा, राजस्थान और झारखंड में हालात उल्लेखनीय रूप से सुधरा है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और विश्वबैंक के तकनीकी सहयोग से तैयार नीति आयोग की ‘स्वस्थ्य राज्य प्रगतिशील भारत’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में राज्यों की रैंकिंग से यह बात सामने आई है। इस रिपोर्ट में इन्क्रीमेन्टल रैंकिंग यानी पिछली बार के मुकाबले सुधार के स्तर के मामले में 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान के साथ सबसे नीचे है। वहीं, इसमें उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें और ओड़िशा 18वें स्थान पर हैं।

रिपोर्ट के अनुसार संदर्भ वर्ष 2015-16 की तुलना में 2017-18 में स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार का संपूर्ण प्रदर्शन सूचकांक 6.35 अंक गिरा है। इसी दौरान उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन सूचकांक में 5.08 अंक, उत्तराखंड 5.02 अंक तथा ओड़िशा के सूचकांक में 3.46 अंक की गिरावट आई है। यह रैंकिंग 23 संकेतकों के आधार पर तैयार की गई है। इन संकेतकों को स्वास्थ्य परिणाम (नवजात मृत्यु दर, प्रजनन दर, जन्म के समय स्त्री-पुरूष अनुपात आदि), संचालन व्यवस्था और सूचना (अधिकारियों की नियुक्ति अवधि आदि) तथा प्रमुख इनपुट/प्रक्रियाओं (नर्सों के खाली पड़े पद, जन्म पंजीकरण का स्तर आदि) में बांटा गया है।

यह दूसरा मौका है जब आयोग ने स्वास्थ्य सूचकांक के आधार पर राज्यों की रैंकिंग की है। इस तरह की पिछली रैंकिंग फरवरी 2018 में जारी की गई थी। उसमें 2014-15 के आधार पर 2015-16 के आंकड़ों की तुलना की गई थी। इस रिपोर्ट में पिछले बार के मुकाबले सुधार और कुल मिलाकर बेहतर प्रदर्शन के आधार पर राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग तीन श्रेणी में की गई है। पहली श्रेणी में 21 बड़े राज्यों, दूसरी श्रेणी में आठ छोटे राज्यों एवं तीसरी श्रेणी में केंद्र शासित प्रदेशों को रखा गया है।

सूचकांक में सुधार के पैमाने पर हरियाणा का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है। उसके 2017-18 के संपूर्ण सूचकांक में 6.55 अंक का सुधार आया है। उसके बाद क्रमश: राजस्थान (दूसरा), झारखंड (तीसरा) और आंध्र प्रदेश (चौथे) का स्थान रहा। वहीं, छोटे राज्यों में त्रिपुरा पहले पायदान पर रहा। उसके बाद क्रमश: मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड का स्थान रहा। इसमें सबसे फिसड्डी अरूणाचल प्रदेश (आठवें), सिक्किम (सातवें) तथा गोवा (छठे) का स्थान रहा।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्रशासित प्रदेशों में दादर एंड नागर हवेली तथा चंडीगढ़ में स्थिति पहले से बेहतर हुई है। सूची में लक्षद्वीप सबसे नीचे तथा दिल्ली पांचवें स्थान पर है। संदर्भ वर्ष की संपूर्ण रैंकिंग में उत्तर प्रदेश सबसे निचले 21वें स्थान पर है। उसके बाद बीसवें पर बिहार, 19वें पर ओड़िशा, 18वें पर मध्य प्रदेश और 18वें पर उत्तराखंड का स्थान है। वहीं शीर्ष पर केरल है। उसके बाद दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश, तीसरे पर महाराष्ट्र और और चौथे स्थान पर गुजरात है।

रिपोर्ट जारी किये जाने के मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा प्रयास है...जिसका मकसद राज्यों को महत्वपूर्ण संकेतकों के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में सुधार के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा के लिये प्रेरित करना है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसे राज्यों के साथ काम कर रहे हैं और जो सूचकांक में पीछे हैं, उनमें सुधार के लिये वहां ज्यादा काम करेंगे। जो आकांक्षावादी (पिछड़े जिले) हैं, उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी।

आयोग के सदस्य डा. वी के पॉल ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य क्षेत्र में अभी काफी काम करने की जरूरत है...इसमें सुधार के लिये स्थिर प्रशासन, महत्वपूर्ण पदों को भरा जाना तथा स्वास्थ्य बजट बढ़ाने की जरूरत है।’’ नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि आयोग सालाना प्रणालीगत व्यवस्था के रूप में स्वास्थ्य सूचकांक स्थापित करने को प्रतिबद्ध है ताकि राज्यों का बेहतर स्वास्थ्य परिणाम हासिल करने की ओर ध्यान जाए। 

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