नई दिल्ली: केरल के कन्नूर के एक पहाड़ी गांव में एक साथ दर्जनों सांपों का जन्म हुआ। यहां तीन लोगों ने किंग कोबरा के अंडों की 100 दिनों तक रखवाली करते रहे जिसके बाद इन सपोलों का जन्म हुआ। ऐसा उन्होंने तब तक किया जब तक अंडे से बच्चे बाहर न आ गये। उन्होंने कोबरा के रखे गए कई अंडे को बचाने के लिए स्थानीय लोगों को भी भरोसे में लिया। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
गांववालों ने अपनी हिफाजत के लिए उन अंडों को बर्बाद करना चाहा। लेकिन दो वन अधिकारियों- विजय नीलकंठन, गौरी शंकर और चंद्रन ने मिलकर इन अंडों की रखवाली की। ऐसा तब हुआ जब 22 अप्रैल को एक कोबरा को बचाने के लिए कॉल आया। वन्यजीव फोटोग्राफर और संरक्षणवादी विजय नीलकांदन और गोवरी शंकर चंद्रन के साथ गए और किंग कोबरा का घोंसला और अंडे देखा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मां कोबरा का पहला घोंसला है, जिसमें उसने अंडे को डर से छोड़ दिया है।
स्थानीय लोग अंडे से कई बच्चे के होने की संभावना से चिंतित थे। बता दें कि किंग कोबरा को दुनिया के सबसे विषैले सांपों में माना जाता है। किंग कोबरा के घोंसले से लगभग 90 किलोमीटर दूर रहने के बावजूद, गार्ड अंडे की जांच करने के लिए हर दूसरे दिन वहां आते थे। कोबरा के अंडों से बच्चे बाहर आने में आम तौर पर लगभग 80 से 105 दिनों का समय लेते है।
इस दौरान उन्होंने सांपों को लेकर गांववालों के बीच कायम डर के माहौल को दूर करने की भी कोशिशें कीं। उन्होंने समझाया कि भले ही सांप किंग कोबरा प्रजाति के हैं लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो ये नुकसान नहीं पहुंचाते।
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