मणिपुरी नृत्य में वैसे तो मुख्य रूप से रासलीला का मंचन किया जाता है। जहां कृष्ण और अन्य पौराणिक पात्रों, जीवन से जुड़ी कथाओं और लीलाओं का मंचन होता हैं। इसके अलावा यहां की जनजाति और आदिवासियों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं जिनमे आदिवासी जीवन की झलक मिलती है। जैसे यह नृत्य नाटिकाएँ प्राकृति के नज़दीक होती हैं, जिनमे पंछियों की आवाज़ें, जानवरों की मुद्राएँ और पोशाक मे भी जानवरों के सींग आदि का प्रयोग किया जाता है। यह नृत्य बताते हैं की यह लोग आज भी प्राकृति के कितने नज़दीक हैं।