चुग्गे ख़ान साहिब का संबंध राजस्थान के लोक गायक समुदाय मांगनियार से है। इनका सूफ़ी कलाम दिल को छू लेने वाला होता है। धवल चाँदनी रात मे खुले आकाश तले चुग्गे ख़ान साहब के गीतों को सुनते हुए शाम कैसे बीत गई पता ही नही चला।
अगले तीन दिनो तक यह सिलसिला चलता रहा। दिन के समय लोक नृत्य और रात के समय लोक गीतों और नृत्य नाटिका का आयोजन। अरावली पर्वत श्रंखला के बीच स्थित कुम्भलगढ़ के क़िले मे यह आयोजन किसी नगीने जैसा है। इसके बारे मे बहुत ज़्यादा लोग नहीं जानते लेकिन जो इसे अनुभव कर लेते हैं वो इसे भूल नही पाते। राजस्थान टूरिज़्म पूरी मेहनत और लगन से इस कार्यक्रम का आयोजन करता है।