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Photo Blog: जिसे कोई जीत नहीं पाया वो आपका दिल जीत लेगा, देखिए कुंभलगढ़ फेस्टिवल के दिलचस्प नजारे

डॉक्टर कायनात काजी- सच कहूं तो पहले कभी सुना नही था मैंने यह नाम। कुम्भलगढ़ को जानती ज़रूर थी लेकिन उसके विशालतम दुर्ग के लिए न कि फेस्टिवल के लिए, और इतना जानती थी कि

IndiaTV Hindi Desk
Updated : December 11, 2016 21:43 IST
kumbhalgarh festival
kumbhalgarh festival

उदयपुर से लगभग 3 घंटों मे हम कुम्भलगढ़ पहुंचते हैं। कुम्भलगढ़ पहाड़ों के बीच बसा एक ऐसा स्थान है कि जहां एक इतना बड़ा दुर्ग भी हो सकता है इसका अंदाज़ा भी नही लगाया जा सकता। राणा कुम्भा ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया। राणा कुम्भा के नाम पर ही इस दुर्ग का नाम पड़ा। महाराणा प्रताप की जन्मस्थली भी यही अभेद दुर्ग है। इस दुर्ग ने कई राजाओं का समय देखा।

कुम्भलगढ़ पहुंचते-पहुंचते शाम घिर आई थी। शाम को कुम्भलगढ़ फेस्टिवल के अंदर सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यह कार्यक्रम कुम्भलगढ़ फ़ोर्ट के प्रांगण मे ही होता है। हमने फ्रेश हो कर फ़ोर्ट का रुख़ किया। राणा कुम्भा कला और संगीत के प्रेमी थे, उन्हीं की याद मे यहां कुम्भलगढ़ फेस्टिवल मनाया जाता है। राजस्थान के कोने-कोने से कई कलाकारों को बुलाया जाता है। कुम्भलगढ़ फ़ोर्ट ऊंची पहाड़ी पर बना है। जब तक हम फ़ोर्ट के बिल्कुल क़रीब नही पहुंच गए फ़ोर्ट दिखाई ही नही दिया। और पास आते ही पीली रोशनी मे जगमगाते फ़ोर्ट की लंबी दीवार नज़र आने लगी। सोने सी पीली चमक मे दूर तक नज़र आती दीवार ने मेरे क़दम वहीं रोक लिए। यह लंबी दिवार ही कुम्भलगढ़ की पहचान है।

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