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Photo Blog: कॉर्न फेस्टिवल से छिंदवाड़ा के मक्का को मिली अंतर्राष्ट्रीय पहचान, स्थापित किया विश्व रिकॉर्ड

मक्का को भारत में ही नहीं पूरी दुनिया की अनेक सभ्यताओं ने अपनाया और अपने खाने का अभिन्न अंग बनाया। कहते हैं कोर्न मेक्सिको से 11वी-12वीं शताब्दी में भारत आया और यहां की जलवायु के साथ ऐसे एक ले हो गया जैसे यहीं की पैदावार हो...

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 16, 2019 15:59 IST
corn fest 2019
corn fest 2019

छिंदवाड़ा: सतपुरा की इन मनोरम पहाड़ियों को देखकर कौन अंदाजा लगा सकता है इन पहाड़ियों के परे एक ऐसा स्वप्नलोक होगा जहां पर आज भी आदिम युग से चली आ रही स्वाद की परंपराओं को सजाने की कवायद की जा रही होगी। जी हां मैं बात कर रही हूं मक्का की जिसका इतिहास ईसा से भी पुराना है। आज भले ही हम शहरी लोग मक्का को सिर्फ टाइमपास करने का एक स्नेक्स समझते हो लेकिन इस अनोखे अनाज का महत्व हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही पहचान लिया था इसीलिए इस अनाज को भारत में ही नहीं पूरी दुनिया की अनेक सभ्यताओं ने अपनाया और अपने खाने का अभिन्न अंग बनाया। कहते हैं कोर्न मेक्सिको से 11वी-12वीं शताब्दी में भारत आया और यहां की जलवायु के साथ ऐसे एक ले हो गया जैसे यहीं की पैदावार हो। मक्के की रोटी उस समय हमारी थाली का मुख्य अंग थी।

corn fest 2019

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समय बदला और बदले हमारे रोजमर्रा के खानपान के तरीके और उसके साथ ही बदला हमारा भोजन का मुख्य भाग। गेहूं ने चुपके से कब मक्का की जगह थाली में अपना रुतबा बना लिया यह किसी को भी पता नहीं चला। लेकिन समय के साथ लोगों को इसका महत्व फिर से समझ में आने लगा है अब मक्का सिर्फ टाइमपास करने का एक छोटा सा आइटम पॉपकॉर्न बनकर ही नहीं रह गया अब इसके आगे भी बहुत कुछ है अगर आप भी जानना चाहते हैं कि मक्का से क्या-क्या बनाया जा सकता है तो चले आइए मध्य प्रदेश के खूबसूरत शहर छिंदवाड़ा में। इन दिनों छिंदवाड़ा में चल रहा है कॉर्न फेस्ट। यह कॉर्न फेस्टिवल इतना अनोखा है कि आपको यहां आकर हैरानी होगी कि क्या कॉर्न से इतने सारे व्यंजन बनाए जा सकते हैं। छिंदवाड़ा के आसपास रहने वाले लोगों में 46% जनसंख्या आदिवासी समाज से आती है। यह आदिवासी समाज अभी भी खेती-किसानी की पारंपरिक तरीकों पर भरोसा करता है। इनके द्वारा उगाए गए अनाज फल सब्जियां सभी ऑर्गेनिक हैं इसलिए यहां की हर चीज में स्वाद कूट कूट कर भरा है।

corn fest 2019

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प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने इस क्षेत्र के लिए बहुत सारे काम किए है जिसमें किसानों के लिए खेती की तकनीकी मदद से लेकर बाजार तक उनकी पहुंच बनाने के लिए अनेक उपाय किए गए हैं। यहां के किसानों द्वारा उगाया गया कॉर्न पूरे देश में क्या पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। अब यह पुराने जमाने की बात हो गई कि मक्के की रोटी पर केवल पंजाब का एकाधिकार हुआ करता था पिछले कुछ वर्षों में छिंदवाड़ा और उसके आसपास के क्षेत्र में मक्के का बहुत अधिक उत्पादन हुआ है जिससे इस सिटी को कॉर्न सिटी का खिताब मिला है। कॉर्न को एक अलग पहचान दिलाने के लिए इस फेस्टिवल का आयोजन पिछले वर्ष से शुरू हुआ है।

corn fest 2019

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यहां का दृश्य देखने लायक है, पूरा पुलिस ग्राउंड लोगों से खचाखच भरा हुआ है एक तरफ किसान है तो दूसरी तरफ शहरी लोग हैं। एक तरफ आदिवासी हैं तो दूसरी तरफ वैज्ञानिक है। एक तरफ नेता है तो दूसरी तरफ बच्चे हैं। यह पर्व है छिंदवाड़ा जिले के पूरे 200 गांव का। इस उत्सव में लोगों की भागीदारी देखते ही बनती है यहां युवा पूरे उत्साह के साथ उत्सव को सफल बनाने में रात दिन लगाकर मेहनत कर रहे हैं, वहीं छिंदवाड़ा शहर की महिलाएं एक अलग किसम के व्यंजनों के कॉन्टेस्ट में जीतने की होड़ में लगी हुई है इन महिलाओं ने मात्र कॉर्न के प्रयोग से 50 से ज्यादा अधिक स्वादिष्ट डिशेज बनाकर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

छिंदवाड़ा में फेस्टिवल की तैयारी हर वर्ग में अलग ही रूप में देखने को मिल रही है पूरा जिला इस फेस्टिवल को विश्वव्यापी पहचान दिलाने में जी जान से लगा हुआ है इसकी एक मिसाल यहां देखने को मिली यहां के सांस्कृतिक दीर्घा में जहां पर छिंदवाड़ा के स्कूलों के बच्चों ने कॉर्न को लेकर पेंटिंग्स बनाई हैं और यह पेंटिंग ढाई लाख से अधिक हैं। यह अपने आप में एक कीर्तिमान है जिसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। स्कूली बच्चों द्वारा बनाई गई यह पेंटिंग्स बहुत सुंदर हैं हर पेंटिंग कॉर्न को एक अलग रूप में स्थापित करते हैं। जहां युवा कॉर्न और कॉर्न के अवयवों से बने चीजों को फैशन के साथ जोड़ कर फैशन ज्वेलरी बना रहे हैं।

corn fest 2019

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वहीं छिंदवाड़ा के आसपास के आदिवासी समाज कॉर्न की उन व्यंजनों को लेकर आए हैं, जिनका नाम आपने सुना तक नहीं होगा इनके बनाने के तरीके बहुत सादगी पूर्ण हैं जिसमें पूरी तरह से जंगल से लाए गए शाक सब्जी और कॉर्न से बना खाना आपको उंगलियाँ चाटने पर मजबूर कर देगा। यह अपने आप में एक लोकोत्सव है जिसमें 3 दिन चलने वाला यह उत्सव छिंदवाड़ा जिले के हर व्यक्ति का उत्सव प्रतीत होता है। मंच पर सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग क्षेत्रों से आए छात्रों युवाओं के सांस्कृतिक कार्यक्रम उनकी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां चलती रहती हैं। शाम को किसी सेलिब्रिटी द्वारा गीत संगीत की महफिल अपना अलग रूप प्रस्तुत करती है।

इस लोक उत्सव में जहां सांस्कृतिक रंग देखने को मिलते हैं वहीं सरकार की ओर से हर संभव प्रयास किया जा रहा है जिससे कि कॉर्न उगाने वाले किसानों को अच्छी तकनीकी सहायता और बाजार सहज उपलब्ध करवाया जाए। इस फेस्ट में देश विदेश से आए कृषि वैज्ञानिक किसानों को कॉर्न की बेहतर फसल उगाने की जानकारियां भी दे रहे हैं।

लेखक के बारे में:

डॉक्टर कायनात काजी वैसे तो फोटोग्राफर, ट्रैवल राइटर और ब्लॉगर हैं, लेकिन खुद को वह सोलो फीमेल ट्रैवलर के रूप में ही पेश करती हैं। यायावरी उनका जुनून है और फोटोग्राफी उनका शौक। ब्लॉगिंग के लिए उन्हें देश के एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल द्वारा बेस्ट हिंदी ब्लॉगर का सम्मान भी दिया जा चुका है। हिंदी साहित्य में PHD कर चुकीं कायनात एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं। कायनात राहगिरी (rahagiri.com) नाम से हिंदी का पहला ट्रैवल फोटोग्राफी ब्लॉग चलाती हैं।

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