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Kathua Case के दोषियों ने ऐसा काम किया जैसे समाज में जंगल का कानून हो: न्यायाधीश

लगभग 367 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाए गए फैसले में सिंह ने तीन आरोपियों को आपराधिक षड्यंत्र और हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि सबूत मिटाने के जुर्म में तीन अन्य को पांच साल जेल की सजा सुनाई। एक आरोपी को बरी कर दिया गया।

Reported by: Bhasha
Updated on: June 11, 2019 0:02 IST
kathua rape case- India TV Hindi
Image Source : PTI Kathua Rape Case में तीन दोषियों को सुनाई गई उम्रकैद की सजा

पठानकोट। कठुआ सामूहिक बलात्कार कांड के मुकदमे में अपना फैसला सुनाते हुए सोमवार को न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने कहा कि इस मामले में बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या से ऐसा लगता है कि समाज में ‘‘जंगल का कानून’’ है।

न्यायाधीश ने अपराध की जघन्यता दर्शाने के लिए अपने फैसले की शुरुआत में मिर्जा गालिब के गजल की यह पंक्तियां लिखीं - ‘‘पिन्हा था दाम-इ-सख्त क़रीब आशियां के, उड़ने न पाए थे कि गिरफ्तार हम हुए (शिकारियों ने इतना कड़ा जाल बिछा रखा था कि उड़ने से पहले ही पकड़ लिया गया)।’’

न्यायाधीश ने कहा कि कठुआ कांड के तथ्यों पर यह पंक्ति पूरी से चरितार्थ होती है। उच्चतम न्यायालय ने 2011 में पश्चिम बंगाल में एक सेक्स वर्कर की हत्या के मामले में अपने फैसले में मिर्जा गालिब की इन्हीं पंक्तियों का जिक्र किया था। लगभग 367 दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुनाए गए फैसले में सिंह ने तीन आरोपियों को आपराधिक षड्यंत्र और हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा सुनाई जबकि सबूत मिटाने के जुर्म में तीन अन्य को पांच साल जेल की सजा सुनाई। एक आरोपी को बरी कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण अपहरण, नशीला पदार्थ देना, गलत तरीके से बंधक बनाना, आठ साल की एक बच्ची का बलात्कार और उसकी हत्या ने आपराधिक कानून को गति में ला दिया।’’ उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मीडिया की सुर्खियों से दूर और बंद कमरे में हुई मुकदमे की पूरी सुनवाई के बाद सिंह ने सोमवार को अपना फैसला सुनाया। 

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