नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में सीएए के खिलाफ जारी विरोध के बीच रविवार को 4 कश्मीरी पंडित प्रदर्शनकारियों से समर्थन मांगने वहां पहुंचे। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और कश्मीरी पंडितों के बीच हाथापाई भी हुई। कश्मीरी पंडितों ने कहा कि आज कश्मीर का काला दिन है। आज के दिन हमें वहां से भगाया गया था। उन्होनें इस मुद्दे पर वहां मौजूद लोगों से उन्हें स्पोर्ट करने को कहा। वहां मौजूद लोगों ने इस मुद्दे पर उनका समर्थन करने लिए दो मिनट का मौन भी रखा।
घाटी से जबरन बेदखल करने के बाद, पिछले 30 वर्षो से अपनी खुद की दुर्दशा को उजागर करने और अपने कारण के लिए समर्थन प्राप्त करने हेतु कश्मीरी पंडित रविवार को शाहीन बाग में जुटे। नागिरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध की भावना का जश्न मनाने के लिए प्रदर्शनकारियों द्वारा 19 जनवरी को 'जश्न-ए-शाहीन' कार्यक्रम की घोषणा की गई थी, जिसमें कविता और गीतों के नाम एक शाम का आयोजन किया गया। कश्मीरी पंडितों और ट्विटर के एक वर्ग ने इस आयोजन को 'कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार' के तहत मनाने की बात कही है।
एक कश्मीरी कार्यकर्ता सतीश महालदार ने कहा, "शाहीन बाग में सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों ने 'जश्न-ए-शाहीन' कार्यक्रम के आयोजन की घोषणा की है। इसी दिन 30 साल पहले कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़ने पर मजबूर किया गया था। हम यह सुनिश्चित करेंगे की यह कार्यक्रम न हो। हम शाम में प्रदर्शन स्थल पर पलायन दिवस मनाने के लिए पहुंचेंगे।"
कश्मीरी पंडित प्रदर्शनकारियों से अनुरोध करेंगे कि वह उनके भले के लिए भी अपनी आवाज उठाएं। शाहीन बाग एक महीने से अधिक समय से सीएए को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सीएए एक विशेष समुदाय के खिलाफ भेदभाव करता है। इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।