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कश्मीर वार्ता शांति के लिए, आतंकवाद से सेना निपटेगी : राम माधव

भाजपा नेता राम माधव ने शनिवार को कहा कि वार्ताकार की नियुक्ति सरकार की आतंकवादियों से निपटने में कश्मीर नीति पर यू-टर्न नहीं है और आतंकवाद के समर्थकों से सेना निपटेगी।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : October 28, 2017 22:24 IST
Ram madhav
Ram madhav

नई दिल्ली: भाजपा नेता राम माधव ने शनिवार को कहा कि वार्ताकार की नियुक्ति सरकार की आतंकवादियों से निपटने में कश्मीर नीति पर यू-टर्न नहीं है और आतंकवाद के समर्थकों से सेना निपटेगी। उन्होंने साथ ही कहा कि जो भी वार्ता करना चाहते हैं वे आए और वार्ता करें। माधव ने इस मामले पर विपक्षियों की आलोचना पर प्रहार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर नीति किसी मामले से निपटने के लिए 'सुसंगत' बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना है, जिसके अंतर्गत एकसाथ कई कार्रवाई की जाती है।

उन्होंने सीएनएन-न्यूज 18 से कहा, "और इसमें से एक है आतंकवादियों से निपटने के लिए कठोर सैन्य कार्रवाई। घाटी में जो भी देश-विरोधी कार्य हो, चाहे आतंकवाद में संलिप्तता, या इसे आगे बढ़ाने, या वित्तपोषण करने, या समर्थन करने में संलिप्त होगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा। यह जारी रहेगा। लेकिन अगर कोई केंद्र सरकार के पास आएगा और बातचीत करना चाहेगा, तो वह वार्ताकार से बात कर सकता है।" सरकार ने सोमवार को पूर्व खुफिया प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर में सभी साझेदारों से बातचीत के लिए वार्ताकार नियुक्त किया था।

माधव ने कश्मीर नीति पर पाकिस्तान की किसी भी प्रकार की संलिप्तता को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि पड़ोसी देश के साथ बातचीत हो सकती है, लेकिन केवल उन्हीं हिस्सों के बारे में जो इस्लामाबाद के कब्जे में है। माधव ने कहा, "कश्मीर मुद्दा पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है। हम राज्य के लोगों से बात करेंगे, विभिन्न समूहों से बात करेंगे। किसी भी बाहरी ताकत की इसमें कोई जगह नहीं है।" उन्होंने कहा कि कश्मीर शांति की ओर बढ़ रहा है और घाटी में चीजे धीरे-धीरे सही हो रही हैं।

माधव ने कहा, "घाटी में सामान्य राजनीतिक गतिविधि शुरू हो चुकी है। भाजपा और पीडीपी गठबंधन विकास पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दे रही है। अब नए विशेष वार्ताकार की नियुक्ति की गई है। आप देख सकते हैं कि गृहमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि जो भी बात करना चाहते हैं, सरकार के दरवाजे उनके लिए खुले हैं।" उन्होंने कहा कि यह पहल पुराने संप्रग सरकार की पहल से "काफी अलग" है। यह पूछे जाने पर कि क्या शर्मा के हुर्रियत नेतृत्व से बातचीत की संभावना है? उन्होंने कहा इसपर अलगाववादी नेताओं को निर्णय लेना है कि वे बातचीत करना चाहते हैं या नहीं। यह ऐसा प्रश्न है, जिसे आपको उनसे पूछना चाहिए।

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