TWO YEAR AFTER 370: जम्मू कश्मीर से ऐतिहासिक आर्टिकल 370 हटाए जाने के 5 अगस्त को दो साल पूरे हो गए है। वर्ष 2019 में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधानों को हटा दिया गया था। साथ ही प्रदेश को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। उस समय प्रशासन ने सुरक्षा एहतियातों को ध्यान में रखते हुए जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम 1978 (पीएसए) के तहत 444 लोगों को हिरासत में लिया गया था।
सरकार ने एहतियात के तौर पर वहां के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया था ताकि राज्य में हालात हिंसक ना हो। इसके लिए उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, फारूख अब्दुल्ला, सज्जाद गनी लोन, मियां अब्दुल कय्यूम जैसे कई नेताओं को नजरबंद कर दिया था।
फारूख अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला नजरबंदी खत्म की जा चुकी है। फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ 15 सितंबर 2019 को पब्लिक सेफ्टी एक्ट का केस दर्ज किया था। इसके बाद उन्हें तीन महीने के लिए नजरबंद कर दिया गया था। तीन महीने की मियाद 15 दिसंबर को खत्म होने वाली थी, उससे दो दिन पहले यानी 13 दिसंबर को उनकी नजरबंदी 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। लेकिन उसके बाद 13 मार्च को उनकी नजरबंदी को खत्म करने का फैसला किया गया था।
उमर अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला की नजरबंदी 24 मार्च 2020 को खत्म कर दिया गया। उन्हें 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर जन सुरक्षा अधिनियम 1978 के तहत नजरबंदी में रखा गया था। आर्टिकल 370 के लागू होने के बाद उमर अब्दुल्ला पर पीएसए के तहत लोगों को भड़काने का आरोप लगाया गया था। पुलिस द्वारा पीएसए के तहत लगाए गए यह आरोप 24 मार्च 2020 को वापस ले लिए गए।
महबूबा मुफ्ती
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद किया गया था। साल 2019 में जम्मू कश्मीर में विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही 5 अगस्त 2019 को महबूबा मुफ्ती को नजरबंद कर दिया गया। लेकिन, अब वह नजरबंदी में नहीं हैं।
सज्जाद गनी लोन
पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन और पूर्व समाज कल्याण मंत्री सज्जाद गनी लोन को नजरबंद किया गया था। इसके बाद 31 जुलाई 2020 को नजरबंदी हटाई गई थी। इससे पहले उन्हानें पांच अगस्त 2019 को अंतिम ट्वीट कर अपनी नजरबंदी की जानकारी दी थी।
अशरफ सेहराई
अलगाववादी नेता और सैयद अली शाह गिलानी के करीबी सहयोगी अशरफ सेहराई को श्रीनगर से 12 जुलाई 2020 को गिरफ्तार किया गया था। वह अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद 5 अगस्त से ही सेहराई घर में नजरबंद थे।
शाह फैसल
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने विवादास्पद जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी शाह फैसल को भी नजरबंद किया गया था। उन्हें 13-14 अगस्त 2019 की मध्यरात्रि को इस्तांबुल की उड़ान में सवार होने से पहले दिल्ली हवाईअड्डे पर रोककर वापस श्रीनगर ले जाया गया था, जहां उन्हें नजरबंद किया गया था।
मियां अब्दुल कय्यूम
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को भी नजरबंद किया गया था।