नई दिल्ली: पाकिस्तान ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उसके इमान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मौका था सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल करतारपुर कॉरिडोर के शिलान्यास का। 70 साल का इतिहास बदल रहा था लेकिन इस बदलाव के बयार के बीच भी पाकिस्तान अपनी फितरत के मुताबिक पुरानी चालें ही चल रहा था। पाकिस्तान की बातों पर भरोसे और विश्वास का कितना अभाव है, ये बातें थोड़ी ही देर में तब सामने आ गई।
जिस समारोह में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ऊंची-ऊंची बातें कर रहे थे, उसी समारोह में एक ऐसा आदमी पीएम के साथ परछाई की तरह घूम रहा था, जो रोज भारत की संप्रभूता को चुनौती देता है। य़े शख्स था खालिस्तानी आतंकी गोपाल सिंह चावला। भारत के बारे में जो इरादा हाफिज सईद रखता है, वही इरादा ये गोपाल सिंह चावला भी रखता है।
सवाल है, क्या इस कॉरिडोर को पाकिस्तान गोपाल सिंह चावला जैसे आतंकी के लिए तो नहीं खोल रहा है क्योंकि इमरान खान के साथ घूमने के बाद चावाला पाकिस्तान के आर्मी जनरल कमर जावेद बाजवा से भी मिला। दोनों ऐसे मिले जैसे बहुत गहरा रिश्ता हो दोनों के बीच। पाकिस्तान के इस चेहरे को दुनिया देख रही थी लेकिन पाकिस्तान में बैठे इमरान खान के दोस्त सिद्धू इसे नहीं देख पा रहे थे।
करतारपुर में इमरान ने बातें तो बहुत लच्छेदार की लेकिन क्या इमरान, इमान भी वही रखते हैं। करतारपुर कॉरिडोर की जब बात हुई तो सबने सोचा कि ये शांति की सड़क साबित होगी, नफरत और दहशत को किनारे में रखकर बात होगी लेकिन एक आतंकी की मौजूदगी से हजार सवाल सामने आ गए। गुरुनानक का घर दो मुल्कों को जोड़ दे इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता लेकिन जो तस्वीर पहले दिन सामने आई, उससे समझा जा सकता है कि सड़क की सियासत इतनी सीधी नहीं है।