बेंगलुरु। कर्नाटक में बृहस्पतिवार को 15 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में लगभग 66.49 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाला और मतदान कमोबेश शांतिपूर्ण रहा। इस उपचुनाव को राज्य की बी एस येदियुरप्पा सरकार के स्थायित्व के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ और पहले आधे दिन तक मतदान की गति धीमी रही और डेढ़ बजे तक सिर्फ 33 फीसदी मतदाताओं ने मतदान किया। उसके बाद मतदान ने रफ्तार पकड़ी। हालांकि उपचुनाव का मतदान प्रतिशत 2018 के विधानसभा चुनाव के मतदान प्रतिशत से कम रहा।
अधिकारियों ने बताया कि 15 निर्वाचन क्षेत्रों में शाम छह बजे तक 37.78 लाख पात्र मतदाताओं में से 66.49 फीसदी मतदाताओं ने वोट डाला। मतदान का प्रतिशत बढ़ने की संभावना है क्योंकि कुछ स्थानों पर लाइन में खड़े मतदाताओं को मतदान की इजाजत दी गयी।मतदान के आंकड़ों के अनुसार होसकोट में सबसे अधिक 90.44 प्रतिशत जबकि के आर पुरा में सबसे कम 43.25 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। इसके अलावा महालक्ष्मी लेआउट में 50.92 फीसदी, शिवाजीनगर में 44.60, यशवंतपुरा में 54.13, अथानी में 74.23, कागवाड में 76.27, गोकक में 73.08,येल्लापुर में 77.52, हिरेकरू में 78.63, रानीबेन्नूर में 73.53, विजयनगर में 64.95, चिक्कबल्लापुर में 86.40, के आर पेटे में 80 और हुनसुर में 80.71 प्रतिशत मतदान हो चुका है।
ये उपचुनाव 17 विधायकों को अयोग्य करार देने से रिक्त सीटों को भरने के लिये हो रहे हैं। इन विधायकों में कांग्रेस और जद(एस) के बागी नेता शामिल थे। इन विधायकों की बगावत के चलते जुलाई में एच डी कुमारस्वामी नीत कांग्रेस-जद(एस) सरकार गिर गई थी और भाजपा के सत्ता में आने का मार्ग प्रशस्त हुआ। भाजपा को राज्य की सत्ता में बने रहने के लिए 225 सदस्यीय विधानसभा (अध्यक्ष सहित) में 15 सीटों (जिन पर उपचुनाव हो रहे हैं) में कम से कम छह सीटें जीतने की जरूरत है।
भाजपा ने पार्टी में शामिल हुए 16 में से 13 अयोग्य विधायकों को उनके संबंधित क्षेत्रों से टिकट दिया है। उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और जद (एस) के टिकटों पर जीत हासिल की थी। जिन 15 सीटों पर उपचुनाव हो रहा है उनमें 12 पर कांग्रेस और तीन पर जद (एस) का कब्जा था। राजनीतिक दलों के कुछ कार्यकर्ताओं के बीच छिटपुट झड़पों को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण तरीके से हुआ।