भिवानी: किसान संघर्ष समिति के संयोजक एवं वयोवृद्ध किसान नेता कमल सिंह मांढी का शुक्रवार रात को ह्रदय गति रुकने से निधन हो गया। मांढी पिछले चार दशक से किसान हितों के लिए संघर्ष कर रहे थे। वह तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहे थे। उनके निधन पर राजनीति व सामाजिक क्षेत्र की हस्तियों ने शोक जताया। कमल सिंह मांढी का शनिवार को उनके पैतृक गांव मांढी में अंतिम संस्कार किया गया। उनके निधन पर किसान नेता विजय सांगवान ने कहा कि कमल सिंह ने ताउम्र किसान व कमजोर वर्ग के लिए संघर्ष किया, उनके किसानों के लिए किए संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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इससे पहले दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर कथित रूप से जहरीला पदार्थ खाने वाले किसान की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पुलिस ने यह जानकारी दी थी। पुलिस ने बताया था कि मृतक की पहचान जय भगवान राणा (42) के तौर पर हुई है वह हरियाणा के रोहतक जिले में पकासमा गांव का रहने वाला था। उन्होंने बताया कि राणा ने मंगलवार को टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल पर सल्फास की गोलियां खा ली थीं।
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अपने कथित सुसाइड नोट में राणा ने लिखा था कि वह एक छोटा किसान है और केंद्र के नए कृषि कानून के खिलाफ बहुत से किसान सड़कों पर हैं। उसने एक पत्र में लिखा, “सरकार कहती है कि यह सिर्फ दो या तीन राज्यों का मामला है, लेकिन पूरे देश के किसान कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। दुखद है कि अब यह सिर्फ आंदोलन नहीं, बल्कि मुद्दों की लड़ाई बन गया है। किसानों और केंद्र के बीच बातचीत में भी गतिरोध बना हुआ है।”
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पुलिस उपायुक्त (बाहरी दिल्ली) ए कोअन ने कहा था कि राणा को एंबुलेंस से संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि मामले में दंड प्रक्रिया संहिता के तहत कानूनी कार्यवाही की जा रही है। पिछले महीने पंजाब के एक वकील ने कथित तौर पर टीकरी बॉर्डर के प्रदर्शन स्थल से कुछ किलोमीटर दूर जहर खाकर कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी।