नई दिल्ली: मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी को अगस्ता वेस्टलेंड सौदे में दोनों मध्यस्थों से रुपये मिले थे। पुरी द्वारा दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका के जवाब में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यह कहा। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार के समक्ष दाखिल अपने जवाब में एजेंसी ने कहा, "जांच में खुलासा हुआ कि रतुल पुरी को दोनों मध्यस्थों- इंटरस्टेलर टैक्नोलॉजी और क्रिश्चियन मिशेल से रुपये मिले हैं।"
ईडी ने आरोप लगाया कि पुरी का संबंध सुशेन मोहन गुप्ता से है। ईडी ने कहा, "सुशेन मोहन गुप्ता की डायरी में प्रविष्टियों से इसका पता चला है।" एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि पुरी ने भले ही यह दावा किया है कि उसने गवाहों को प्रभावित नहीं किया, लेकिन वह आरोपी से गवाह बने राजीव सक्सेना से संपर्क में था।
वहीं आयकर विभाग ने रतुल पुरी के 254 करोड़ रुपये मूल्य के ‘बेनामी शेयर’ जब्त किए हैं। उन्हें यह शेयर अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में एक कागजी कंपनी के माध्यम से कथित तौर पर एक संदिग्ध से प्राप्त हुए। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। बेनामी संपत्ति लेनदेन अधिनियम के तहत शेयर या ‘गैर-संचयी अनिवार्य तौर पर परिवर्तनीय प्राथमिकता शेयर’ (सीसीपीएस) को जब्त करने का अस्थायी आदेश जारी किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि यह राशि ऑप्टिमा इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के तौर पर स्वीकार की गयी। ऑप्टिमा इंफ्रास्ट्रक्चर का संबंध रतुल पुरी के पिता दीपक पुरी की कंपनी मोजर बेयर से है। आयकर विभाग का आरोप है कि 254 करोड़ रुपये का निवेश समूह की एक अन्य कंपनी एचईपीसीएल द्वारा सौर पैनलों के आयात का अधिक बिल दिखाकर किया गया। इसके लिए दुबई के राजीव सक्सेना की एक कागजी कंपनी की मदद ली गयी।
सक्सेना अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में आरोपी है। प्रवर्तन निदेशालय घोटाला मामले में सक्सेना को गिरफ्तार कर चुका है जबकि रतुल पुरी से मामले में पूछताछ चल रही है। अधिकारियों ने बताया कि रतुल पुरी को इन बेनामी शेयरों का लाभ प्राप्त हुआ और उन पर उपयुक्त कानून के तहत आरोप लगाए गए हैं। आयकर विभाग ने रतुल और दीपक पुरी की कंपनियों और प्रतिष्ठानों पर इस साल अप्रैल में छापेमारी की थी।