अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश): बुलंदशहर जिले के नरौरा राजघाट पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान घाट पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी, ऊमा भार्ती सहित भाजपा के कई बड़े नेता मौजूद रहे।
सोमवार को कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर सुबह साढ़े नौ बजे अलीगढ़ के अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम से उनके पैतृक गांव मढौली के लिए ले जाया गया था, जहां उनके अंतिम दर्शन के बाद उन्हें बुलंदशहर के राजघाट नरोरा लाया गया।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व राज्यपाल कल्याण सिंह का शनिवार की रात सवा नौ बजे लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई में निधन हो गया था। वह 89 वर्ष के थे। वह पिछले काफी समय से बीमार थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश के कई प्रमुख नेताओं ने रविवार को लखनऊ पहुंचकर उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शुमार किए जाने वाले कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।
रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए विधान भवन और प्रदेश भाजपा कार्यालय में भी रखा गया था। कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर रविवार की शाम अलीगढ़ के धनीपुर हवाई पट्टी पर एयर एंबुलेंस से पहुंचा था।
इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह तथा एटा से भाजपा सांसद और कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह दूसरे विमान से वहां पहुंचे।
अलीगढ़ में रविवार की रात उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व मुख्यमंत्री को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारत माता का सच्चा सपूत बताया था। उन्होंने कहा कि कल्याण सिंह ने उनके दौर की भारतीय राजनीति को गहराई से प्रभावित किया।
अलीगढ़ के अहिल्याबाई होल्कर स्टेडियम में दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान राम के प्रति कल्याण सिंह में ऐसा प्रेम था कि उन्होंने सत्ता की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा कि राम और सत्ता में एक को चुनना पड़ा तो उन्होंने राम के लिए सत्ता को त्याग दिया।
कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में शुमार थे और छह दिसंबर 1992 को अयोध्या स्थित विवादित ढांचा गिराये जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। इस घटना के बाद सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।
सिंह को पिछली चार जुलाई को संक्रमण तथा स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य समस्याएं होने पर एसजीपीजीआई के गहन चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराया गया था। उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था और शनिवार रात उनका निधन हो गया।
पिछले साल सितंबर में भाजपा के दिग्गजों लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के साथ वह विध्वंस के मामले में बरी किए गए थे, जिसमें उनके समेत 32 अन्य लोगों पर ढांचा ध्वंस का आरोप था। उन्होंने 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश में भाजपा को सत्ता में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।