नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर यात्रा पर एक बार फिर चीन की मनमानी की बात सामने आई है। मानसरोवर यात्रा पर गए श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया है कि चीन ने उन्हें पवित्र मानसरोवर झील में डुबकी लगाने से रोक दिया और उन्हें पवित्र झील को छूने नहीं दिया गया। माना जाता है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर वही भक्त जाते हैं जिन्हें भगवान भोलेनाथ स्वयं बुलाते हैं। देश और दुनिया से हर साल हज़ारों श्रद्धालु भगवान शिव शंकर के दर्शन करने कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाते हैं और पवित्र मानसरोवर झील में डुबकी लगाकर पुण्य कमाते हैं लेकिन इस बार चीन के एक फरमान की खबर ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गए श्रद्धालुओं को मुश्किल में डाल दिया है।
कैलाश यात्रा पर गए श्रद्धालुओं के एक जत्थे के मुताबिक चीन ने एक आदेश जारी कर उन्हें मानरोवर झील में डुबकी लगा से रोक दिया। इतना ही नहीं उन्हें पवित्र मानसरोवर के पानी को छूने तक नहीं दिया गया। मानसरोवर यात्रा पर गए श्रद्धालु संजीव कृष्णा बताते हैं, “सुबह ही हमें पता चला की चीन के किसी आदेश की वजह से मानसरोवर में हम स्नान नहीं कर सकते। अगर ऐसा था तो हमें परमिट और वीज़ा क्यों दिया गया? भारत से यात्रियों का दल अथवा विश्व से हिदू धर्मावलंबियों का हज़ारों की संख्या में दल जब यहां आ गया तब मना करना निश्चित रूप से हिंदुओं की आस्था के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ है।“
कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले हर श्रद्धालु की यही तमन्ना होती हैं कि वो एक बार नीले पानी के इस पवित्र सरोवर में डुबकी लगाए। महादेव के इस अलौकिक धाम की यात्रा भी पवित्र सरोवर में डुबकी लगाए बिना पूरी नहीं मानी जाती हैं। श्रद्धालुओं के मुताबिक उनके जत्थे में 50 से ज्यादा लोग हैं। श्रद्धालुओं के मुताबिक जब वे लोग पवित्र सरोवर की परिक्रमा करने के बाद डुबकी लगाने पहुंचे तो उनके साथ मौजूद चीनी गाइड ने उन्हें आदेश का हवाला देते हुए पवित्र सरोवर में स्नान करने से रोक दिया।
आधिकारिक तौर पर इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा 8 जून से शुरू होनी हैं। खास बात ये है कि इस बार श्रद्धालु पारंपरिक लिपुलेख दर्रे के साथ ही नाथुला पास से भी कैलाश यात्रा पर जा सकेंगे। इस साल 1580 श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाएंगे। इनमें से 10 जत्थे नाथुला और 18 जत्थे पारंपरिक र्लिपुलेख दर्रे से यात्रा करेंगे। नाथुला के रास्ते जाने वाले 10 जत्थों में 50-50 श्रद्धालु होंगे जबकि लिपुलेख के रास्ते 60-60 श्रद्धालुओं का जत्था यात्रा पर रवाना होगा। बता दें कि पिछले साल डोकलाम में हुए विवाद की वजह से चीन ने नाथला दर्रे से कैलाश मानसरोवर की यात्रा रोक दी थी जिसके बाद पारंपरिक उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से ही यात्रा पूरी की गई।
ये जत्था मानसरोवर यात्रा के आधिकारिक तौर पर शुरू होने से पहले प्राईवेट टूर ऑपरेटर्स के जरिए यात्रा पर गया है। परिवार वालों के मुताबिक श्रद्धालुओं का ये जत्था नेपाल के रास्ते चार्टेड प्लेन और फिर सड़क मार्ग से कैलाश मानसरोवर पहुंचा था। सभी श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर की परिक्रमा की और जब सरोवर में डुबकी लगाने और आचमन करने पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया।
इंडिया टीवी की टीम ने जब इस मामले को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से सवाल पूछा तो उन्होंने इस तरह की किसी भी पाबंदी से इनकार कर दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि पवित्र सरोवर में डुबकी लगाने के लिए हर साल एक जगह तय होती है और श्रद्धालुओं को उसी जगह पर स्नान करने की इजाजत होती हैं। इस बार भी तय जगह पर डुबकी लगाने से किसी भी श्रद्धालु को नहीं रोका जा रहा है।