ग्वालियर. मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कद्दवार नेता रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2002 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे थे, उनके पिता माधवराव सिंधिया भी कांग्रेस पार्टी का हिस्सा थे। हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया और उनकी दोनों बुआ वसुंधरा राजे और विजयाराजे सिंधिया दोनों भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा है। आइए आपको बतातें हैं सिंधिया परिवार का इतिहास।
ग्वालियर के सिंधिया परिवार का झुकाव हिंदू महासभा की तरफ था, लेकिन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने विजयाराजे सिंधिया को कांग्रेस में शामिल करवाया लिया। राजमाता विजयाराजे सिंधिया साल 1957 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुनी गईं, लेकिन महज 10 सालों में उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और उन्होंने जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के 3 साल बाद बाद कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस छोड़ने के बाद राजमाता जनसंघ में हिस्सा बनीं, उनकी बदौलत ग्वालियर इलाके में जनसंघ मजबूत हो गया।
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राजमाता ने गिराई थी कांग्रेस की सरकार
दरअसल साल 1967 में राजमाता विजयाराजे सिंधिया की मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम डीपी मिश्र से अनबन हो गई। साल 1967 में ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव होने थे। विजयाराजे गुना सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ जीतीं और विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के 36 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, जिस वजह से डीपी मिश्र की सरकार गिर गई है और सूबे में पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार अस्तित्व में आई।
पढ़ें- कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा- Happy Holiमाधवराव सिंधिया ने भी की थी जनसंघ से राजनीति की शुरुआत
कांग्रेस के बड़े नेता रहे माधवराव सिंधिया ने राजनीति की शुरुआत जनसंघ से ही की थी। वो साल 1971 में लोकसभा चुनाव में गुना से जनसंघ के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे, हालांकि साल 1980 में वो कांग्रेस से जुड़ गए। हालांकि माधवराव जरूर कांग्रेस में चले गए लेकिन उनकी बहनों वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे ने अपनी मां विजयाराजे का अनुसरण करते हुए भाजपा से राजनीति की।
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राजस्थान की सीएम रह चुकी हैं वसुंधरा राजे
सिंधिया परिवार की बेटी वसुंधरा राजे आज किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। वो राजस्थान भाजपा का बड़ा चेहरा हैं और कई बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की दूसरी बुआ यशोधरा राजे सिंधिया 5 बार विधायक रह चुकी हैं और शिवराज सरकार में मंत्री भी रह चुकी है।