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JNU हिंसा के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन, अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई

दिल्ली पुलिस ने बताया कि अभी मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है तथा मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया है जिसने कुछ अहम सुराग मिलने का दावा किया है। सभी दलों के नेताओं ने जेएनयू हिंसा की निंदा की।

Reported by: Bhasha
Updated on: January 06, 2020 23:33 IST
JNU - India TV Hindi
Image Source : PTI JNU teachers stage a protest over Sunday's violence, in New Delhi

नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार रात को छात्रों तथा शिक्षकों पर अज्ञात लोगों के हमले के बाद सोमवार को देशभर में प्रदर्शन हुए। वहीं, कुलपति के इस्तीफे की मांग तेज हो गयी जिन पर हिंसा के दौरान निष्क्रिय बने रहने का आरोप लग रहा है। हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत 34 लोग घायल हुए हैं।

अभी तक नहीं हुई कोई गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस ने बताया कि अभी मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है तथा मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया है जिसने कुछ अहम सुराग मिलने का दावा किया है। सभी दलों के नेताओं ने जेएनयू हिंसा की निंदा की। विपक्ष और जेएनयू छात्रों ने हिंसा के लिए भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को जिम्मेदार ठहराया तथा दिल्ली पुलिस पर निष्क्रिय रहने का आरोप लगाया। वहीं भाजपा ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसरों को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए।

रविवार शाम हुई जेएनयू में हिंसा

जेएनयू परिसर में रविवार को कुछ नकाबपोश लोग घुस आए और उन्होंने तीन छात्रावासों में विद्यार्थियों पर लाठियों, पत्थरों तथा लोहे की छड़ों से हमले किये। उन्होंने फर्नीचर समेत संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया। उन्होंने एक महिला छात्रावास पर भी हमला किया। जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष घोष ने सोमवार सुबह अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पीटीआई से कहा, ‘‘रविवार को परिसर में शांति मार्च के दौरान मुझे खासतौर पर निशाना बनाया गया। करीब 20-25 नकाबपोशों ने मार्च को बाधित किया तथा मुझ पर लोहे की छड़ों से हमला किया।’’

ABVP ने लेफ्ट छात्र संगठनों को ठहराया जिम्मेदार

घोष के सिर पर पट्टी बंधी हुई थी। एबीवीपी ने घटना में शामिल होने से इनकार करते हुए हिंसा के लिए घोष की अगुवाई वाले वाम समर्थित छात्रसंघ को जिम्मेदार ठहराया है। आरएसस से संबद्ध छात्र संगठन ने दावा किया कि उसके कई कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं लेकिन उनमें से किसी को भी मीडिया के सामने पेश नहीं किया गया। घोष ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया, ‘‘पिछले चार-पांच दिन से कुछ संघ समर्थित प्रोफेसर आंदोलन को नुकसान पहुंचाने के लिए हिंसा को भड़का रहे थे।’’ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय से हालात का जायजा लेने के लिहाज से बात की।

अमित शाह ने की अनिल बैजल से बातचीत

अधिकारियों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात की और उनसे जेएनयू के प्रतिनिधियों को बातचीत के लिए बुलाने का अनुरोध किया। हालांकि शाह ने आज दिन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जेएनयू का जिक्र नहीं किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आरोप लगाया, ‘‘सत्तारूढ़ मोदी सरकार के सक्रिय सहयोग के साथ कुछ गुंडों द्वारा भारत के युवाओं के साथ भयावह तथा अभूतपूर्व हिंसा निंदनीय तथा अस्वीकार्य है।’’ केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि परिसरों को राजनीतिक अखाड़ा नहीं बनने देना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि छात्र राजनीतिक मोहरे नहीं बनेंगे। अधिकारियों ने बताया कि एम्स ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराये गये 34 शिक्षकों और छात्रों को सोमवार सुबह छुट्टी दे दी गयी।

कई शहरों में हुए प्रदर्शन

पुडुचेरी से लेकर चंडीगढ़ और अलीगढ़ से लेकर कोलकाता तक सोमवार को विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन हुए। बेंगलुरु की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आईआईटी बंबई तथा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में भी प्रदर्शन हुए। पुडुचेरी विश्वविद्यालय के छात्र रइजा ने कहा, ‘‘आज वो हैं, कल हम हो सकते हैं।’’ मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया पर कल रात से प्रदर्शन चल रहा है। जाधवपुर यूनिवर्सिटी में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान छात्रों और पुलिस के बीच संघर्ष देखने को मिला।

मायावती और अखिलेश ने की निंदा

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी हिंसा की घटना की निंदा की। यादव ने आरोप लगाया कि जेएनयू में शिक्षकों और छात्रों पर बाकायदा योजना बनाकर हमला किया गया। उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन को पता था कि हमलावर अपना काम करके किस समय तक परिसर से बाहर चले जाएंगे और तब तक पुलिस भी बाहर इंतजार करती रही कि कब प्रशासन की अनुमति मिले और वह परिसर के अंदर जाए।

शरद पवार बोले- छात्रों पर किया गया ‘‘सोच-समझकर कायराना हमला’’

इससे पहले, अखिलेश ने रविवार देर रात 'ट्वीट' कर कहा कि जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर हुआ हमला यह दिखाता है कि सरकार डर दिखाकर राज करने के लिये किस हद तक गिर सकती है। घटना को शर्मनाक बताते हुए बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने इसकी न्यायिक जांच की मांग की है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रों पर ‘‘सोच-समझकर कायराना हमला’’ किया गया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को दबाने के लिए हिंसा का इस्तेमाल कारगर साबित नहीं होगा।

 बॉलीवुड से भी विरोध के स्वर सुनाई दिये

इस मसले पर बॉलीवुड से भी विरोध के स्वर सुनाई दिये। अभिनेता अनिल कपूर, आलिया भट्ट, राजकुमार राव, अनुराग कश्यप और सोनम कपूर आदि ने हमले को ‘दिल दहला देने वाला’ करार दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जेएनयू प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की तथा परिसर के हालात का जायजा लिया। हालांकि कुलपति एम जगदीश कुमार इस बैठक में शामिल नहीं हुए। कुमार ने पीटीआई से कहा, ‘‘घटनाक्रम के सिलसिले में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी गयी है।’’

JNU VC को हटाने की हुई मांग

घटना के बाद जेएनयू के कुलपति को पद से हटाने की मांग तेज हो गयी। जेएनयू छात्रसंघ और शिक्षक संघ ने उन पर विश्वविद्यालय में हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। जेएनयू छात्र संघ ने कहा, ‘‘जो हिंसा हुई, वो कुलपति और उनके नजदीकियों की हताशा और कुंठा का परिणाम है।’’

चिदंबरम ने किया मोदी सरकार पर हमला

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने जेएनयू की घटना को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया और कहा कि इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। पूर्व गृह मंत्री ने यह भी कहा कि जवाबदेही की परिधि में गृह मंत्री अमित शाह भी आते हैं। इस बीच जेएनयू के मुख्य द्वार पर आज करीब 15 से 20 लोग जमा हुए जो वाम समर्थित संगठनों के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे थे और ‘जय श्री राम’ तथा ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। पुलिस ने गेट पर सतर्कता बढ़ा दी है।

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