नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुछ छात्रों ने सोमवार को एक एम्बुलेंस को कथित तौर पर रोका और डॉक्टरों को बीमार प्रोफेसर तक पंहुचने नही दिया । इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।
हालांकि जेएनयूएसयू ने प्रदर्शन के दौरान किसी भी तरह की हिंसा में शामिल होने से इनकार किया है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने बताया कि सुबह में अंतर छात्रावास प्रशासन (आईएचए) की बैठक जेएनयू के कन्वेंशन सेंटर में हो रही थी जिस दौरान कुछ छात्र जबरन वहां आ गए। ये छात्र आईएचए के सदस्य भी नहीं हैं। उन्होंने बताया, ‘‘ समिति के सदस्यों ने छात्रों से बाहर चले जाने और बैठक को जारी रखने देने की अपील की, लेकिन छात्र और आक्रामक हो गए और जोर-जोर से नारे लगाने लगे और इसके बाद डीन ऑफ स्टूडेंट्स (डीओएस) की ओर बढ़े।’’
इस माहौल में डीओएस उमेश कदम का रक्तचाप काफी बढ़ गया और वह बीमार हो गए लेकिन छात्रों ने अंसवेदनशीलता का परिचय देते हुए एम्बुलेंस को अस्पताल की तरफ बढ़ने भी नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि छात्रों ने विश्वविद्यालय के डॉक्टरों को भी कदम तक पहुंचने से रोका।
इस घटना की निंदा करते हुए जेएनयू के कुलपति एम जगदीश कुमार ने ट्विटर पर कहा कि जेएनयू प्रशासन इन छात्रों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का विचार कर रही है, आज जो हुआ वह बर्दाश्त के काबिल नहीं है बल्कि खतरनाक और शर्मनाक है। वहीं छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने आरोप लगाया कि कुलपति और उनके लोग विरोध प्रदर्शन को ‘नकारात्मक रूप’ में दिखाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कुलपति ने आज उस संहिता को नष्ट करने का प्रयास किया जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों को यहां आने और पढ़ने का अधिकार देता है।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘ आईएचए की बैठक शुल्क बढ़ाने, छात्रों को हॉस्टल से बाहर करने के लिए आयोजित हुआ था। यह बैठक जेएनयूएसयू को बिना बुलाए आयोजित की गई थी। हम लोग नहीं बुलाए जाने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इस विरोध को नकारात्मक रूप में दिखाया जा रहा है।’’ मून ने कहा, ‘‘ हम हिंसा में लिप्त नहीं हैं लेकिन जेएनयू को बंद करने या उसका निजीकरण करने के प्रशासन के प्रयासों का विरोध करना जारी रखेंगे।’’ छात्र संघ ने मंगलवार को प्रशासन के खिलाफ हड़ताल बुलाई है।