नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रावास शुल्क वृद्धि का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में उठा और बसपा के एक सदस्य ने सरकार के इस कदम को निंदनीय बताया। बसपा के दानिश अली ने नियम 377 के तहत जेएनयू के विषय को उठाते हुए कहा कि जब से केंद्र में राजग की सरकार आई है, शिक्षा का व्यावसायीकरण होता जा रहा है। कई केंद्रीय विश्वविद्यालय इसका शिकार हैं। उन्होंने कहा कि इसका एक उदाहरण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रावास का शुल्क 400 प्रतिशत तक बढ़ाने का सरकार का फैसला है।
अली ने सरकार के कदम को निंदनीय बताते हुए कहा कि महंगाई के दौर में गरीब छात्र शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगे? गौरतलब है कि जेएनयू में छात्रावास शुल्क और अन्य शुल्क बढ़ाने के सरकार के फैसले के खिलाफ छात्र-छात्राओं पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपनी मांगों की तरफ संसद का ध्यान आकृष्ट करने के लिए सड़क पर उतरे हैं। छात्रों का कहना है कि जब तक सरकार शुल्क वृद्धि वापस नहीं ले लेती है तब तक वे प्रदर्शन करते रहेंगे।
सोमवार को विश्वविद्यालय के हजारों छात्रों ने अपने हाथों में तख्तियां लेकर संसद भवन की तरफ मार्च करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें विश्वविद्यालय परिसर से आधा किलोमीटर के भीतर ही रोक दिया। जिसके बाद कुछ छात्रों ने जब आगे बढ़ने की कोशिश की तो उन्हें बलपूर्वक रोका गया। हालांकि, शुरुआत में विश्वविद्यालय परिसर के बाहर से अवरोधक हटाए गए थे और छात्रों को मार्च करने की इजाजत दी गई थी।
विश्वविद्यालय के छात्र छात्रावास नियमावली के खिलाफ पिछले तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। इस नियमावली में छात्रावास के शुल्क में वृद्धि, ड्रेस कोड और आने-जाने का समय तय करने के नियम वाले प्रावधान हैं। जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष एन साई बालाजी ने कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस ने संसद भवन की तरफ जा रहे शांतिपूर्ण मार्च को रोक दिया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, समिति गठित कर छात्रों को मूर्ख बना रहा है। जब तक बातचीत हो रही है तब तक के लिए समिति शुल्क वृद्धि को खत्म क्यों नही कर देती है? हम लोग शुल्क वृद्धि को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।’’
(इनपुट- भाषा)