
नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रावास शुल्क वृद्धि का मुद्दा सोमवार को लोकसभा में उठा और बसपा के एक सदस्य ने सरकार के इस कदम को निंदनीय बताया। बसपा के दानिश अली ने नियम 377 के तहत जेएनयू के विषय को उठाते हुए कहा कि जब से केंद्र में राजग की सरकार आई है, शिक्षा का व्यावसायीकरण होता जा रहा है। कई केंद्रीय विश्वविद्यालय इसका शिकार हैं।
उन्होंने कहा कि इसका एक उदाहरण जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में छात्रावास का शुल्क 400 प्रतिशत तक बढ़ाने का सरकार का फैसला है। अली ने सरकार के कदम को निंदनीय बताते हुए कहा कि महंगाई के दौर में गरीब छात्र शिक्षा कैसे प्राप्त करेंगे? गौरतलब है कि जेएनयू में छात्रावास शुल्क एवं अन्य शुल्क बढ़ाने के सरकार के फैसले के खिलाफ छात्र-छात्राओं का कई दिन से प्रदर्शन चल रहा है।
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के आंदोलनरत छात्रों पर पुलिस के लाठीचार्ज की आलोचना करते हुए सोमवार को कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से किये जा रहे आंदोलन से निपटने का यह उपयुक्त तरीका नहीं है।
येचुरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘यह (नरेंद्र) मोदी के समय में पैदा हुयी आपातस्थिति है। आंदोलन स्थल पर पुलिसकर्मियों की मौजूदगी आपातकाल के समय तैनात पुलिसकर्मियों से कहीं ज्यादा थी। लोकतांत्रिक आंदोलनों से निपटने का यह सही तरीका नहीं है। मोदी सरकार छात्रों को उकसाने की कोशिश कर रही है।’’
उल्लेखनीय है कि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी के फैसले को वापस लेने की मांग को लेकर संसद मार्च कर रहे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिये पुलिस ने बल प्रयोग किया और छात्रों को जेएनयू परिसर के पास ही आगे बढ़ने से रोक दिया। आपातकाल के समय जेएनयू के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे येचुरी ने कहा कि लोकतांत्रिक समाज में शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन करने का लोकतांत्रिक अधिकार है। छात्रों पर लाठीजार्च, ‘सरकार के नाम पर अधिनायकवाद के चरमोत्कर्ष’ को दर्शाता है।