नई दिल्ली. लॉकडाउन के कारण बहुत सारे लोगों को देश में 'वर्क फ्रॉम होम' की सहुलियत मिली। जिस वजह से बड़ी संख्या में लोग अपने परिवारों के साथ एक अच्छा और लंबा समय बीता पाए। 'वर्क फ्रॉम होम' और Jiyo Parsi scheme पारसी समुदाय के लिए अच्छी खबर लेकर आई है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, पारसी समुदाय में इस साल में पिछले साल की तुलना में 22 ज्यादा बच्चे जन्में हैं। आपको बता दें कि पारसी समुदाय में 2020 में रिकॉर्ड 61 शिशुओं ने जन्म लिया। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की Jiyo Parsi scheme पारसी समुदाय की लगातार घटती जनसंख्या को देखते हुए शुरू की गई थी।
साल 2011 में देश में पारसी समुदाय की कुल जनसंख्या 57000 थी। Jiyo Parsi scheme साल 2013-14 में शुरू की गई थी। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा समर्थित इस योजना में इस साल 22 अतिरिक्त जन्म हुए हैं, जिसमें नवजात शिशुओं की संख्या जून तक 321 है। हालांकि किसी के लिए ये आंकड़ा बहुत छोटा हो सकता है लेकिन देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान करने वाले इस समुदाय के लिए ये बढ़ोतरी बहुत कीमती है।
1941 में पारसी समुदाय की जनसंख्या 1.14 लाख थी। तेजी से घटती पारसी जनसंख्या को बढ़ाने के लिए केंद्र ने 2013-14 में जियो पारसी योजना शुरू की। इस योजना को कुछ सफलता भी मिली है। योजना शुरू होने के बाद पहले साल में 16 बच्चे पैदा हुए, उसके अगले साल 38, हालांकि साल 2016 में ये आंकड़ा घटकर 28 पर आ गया। फिर 2017 में 58 बच्चों का जन्म हुआ। साल 2018 में ये आंकड़ा घरकर 38 पर पहुंच गया लेकिन 2019 में 59 बच्चों ने जन्म दिया और साल 2020 में 61 शिशुओं का जन्म हुआ।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, 321 बच्चों के बारे में डेटा बड़े पैमाने पर उन जोड़ों से संबंधित है, जिन्हें Jiyo Parsi Scheme के तहत प्रजनन उपचार, सहायक प्रजनन तकनीकों और समुदाय में कम जन्म दर को देखते हुए चिकित्सा सहायता लेने के लिए परामर्श के लिए चिकित्सा प्रतिपूर्ति की पेशकश की गई थी। Jiyo Parsi scheme की नेशनल डॉयरेक्टर Shernaz Cama ने बताया कि साल 2020 के डेटा ने नई उम्मीद दी है। महामारी के दौरान प्रजनन उपचार शुरू करने वाले कई जोड़ों के लिए इसका श्रेय दिया जा सकता है क्योंकि घर से काम करने से उन्हें काम के घंटों में लचीलापन मिला और अस्पतालों और क्लीनिकों का दौरा कम तनावपूर्ण हो गया।