तिरूवनंतपुर: अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर हटाने को लेकर छिड़े विवाद के बीच देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन ने शनिवार को कुछ दक्षिणपंथी संगठनों की इस मांग का औचत्य जानना चाहा और कहा कि अगर कोई ऐसा चाहता है तो उसे अदालत का रूख करना चाहिए। जमात - ए - इस्लामी हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद जलालुद्दीन उमरी ने यहां संवाददाताओं से कहा , ‘‘ ऐसी मांग के पीछे क्या औचत्य है ? क्योंकि यह पिछले 80 साल से लोगों की नजर में है।
फिर भी किसी की ऐसी मांग है तो उसे अदालत जाना चाहिए ... इस पर विवाद क्यों ?’’ इसे एक मामूली मुद्दा बताते उन्होंने कहा कि इसे बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है। उमरी ने कहा कि एएमयू की यह लंबे से अरसे से परंपरा रही है कि वह परिसर में छात्र संघ के आजीवन सदस्यों की तस्वीर लगाता है। उन्होंने कहा कि जिन्ना की तस्वीर 1938 से लगी हुई है। इतने सालों किसी ने भी आपत्ति नहीं जताई या तस्वीर को हटाने की मांग नहीं की।
उमरी ने दावा किया कि भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी आजादी के संग्राम में जिन्ना की भूमिका पर संदेह नहीं किया है। जमात - ए - इस्लामी हिंद के नेता ने कहा कि यह ऐसा मसला है जिसे छात्र संघ के साथ बातचीत के जरिए हल करने की जरूरत है। उमरी ने भाजपा नीत केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि लोकतंत्र , धर्मनिरपेक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकार खतरे में है। जमात ने भगवा पार्टी के खिलाफ लड़ने वाली ताकतों को समर्थन दिया।