रांची/पाकुड़/दुमका: झारखंड के पाकुड़ जिले में परंपरागत ग्रामीण मेले के दौरान आदिवासी दंपतियों के लिए ‘‘चुंबन प्रतियोगिता’’ आयोजित कर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो विधायकों ने आज विवाद पैदा कर दिया। राज्य में सत्ताधारी भाजपा ने मांग की कि दोनों विधायकों को निलंबित किया जाए, क्योंकि उन्होंने स्थानीय संस्कृति का ‘‘अपमान’’ किया है। बहरहाल, प्रतियोगिता के आयोजक झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने कहा कि आदिवासी समाज में तलाक की बढ़ती संख्या पर लगाम लगाने के लिए ‘‘चुंबन प्रतियोगिता’’ आयोजित की गई। साइमन संथाल परगना के लिट्टीपारा से विधायक हैं। पार्टी के विधायक स्टीफन मरांडी भी इस मेले में मौजूद थे।
झारखंड की राजधानी रांची से करीब 400 किलोमीटर दूर संथाल परगना के झुमरिया गांव में मेले के दौरान कल रात कराई गई ‘‘चुंबन प्रतियोगिता’’ का वीडियो आज सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में आदिवासी दंपतियों को चुंबन लेते देखा जा रहा है जबकि वहां मौजूद भीड़ तालियां बजा रही है। भाजपा की झारखंड इकाई के उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू ने इस मुद्दे पर साइमन और स्टीफन को विधानसभा से निलंबित करने की मांग की।
प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष हेमलाल ने रांची में पत्रकारों को बताया, ‘‘झामुमो के विधायक साइमन मरांडी और स्टीफन मरांडी ने हुल मेला के नाम पर संथाल परगना की संस्कृति का अपमान किया है और चुबंन प्रतियोगिता का आयोजन किया है। हम मांग करते हैं कि सदन से उन्हें निलंबित किया जाए और उन्हें कल से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने दिया जाए।’’
हेमलाल ने कहा कि संथाल परगना की संस्कृति ऐसी कभी नहीं रही और यह ‘‘महिला शक्ति का अपमान है।’’ भाजपा नेता ने कहा कि दोनों विधायक ग्राम प्रधानों से माफी मांगें। उन्होंने कहा कि संथाल परगना में एक लड़का और एक लड़की हाथ भी नहीं मिलाते।
प्रतियोगिता के बारे में पूछे जाने पर साइमन ने बताया कि शादीशुदा जोड़ों के बीच बंधन को मजबूत करने के मकसद से 20 दंपतियों में यह प्रतियोगिता कराई गई। उन्होंने कहा कि संथाल समाज को समझने की कोशिश कोई नहीं कर रहा । उन्होंने कहा कि तलाक के बढ़ते मामलों पर रोक के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
झामुमो नेता साइमन ने कहा कि स्टीफन प्रतियोगिता संपन्न होने के बाद वहां पहुंचे थे। झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री और भाजपा नेता नील कंठ सिंह मुंडा ने दुमका में कहा कि यह आदिवासी समाज का अपमान है। मंत्री ने विजेताओं को पुरस्कार देने को लेकर साइमन की आलोचना भी की।