लेह। ‘जरपाल क्वीन’ पाकिस्तान के खिलाफ भारत की जीत का प्रतीक है और इसे भारतीय सेना की ‘युद्ध ट्रॉफी’ के तौर पर पूरे भारत में ले जाया जाता है। ‘जरपाल क्वीन’ एक ‘विल्लीज’ जीप है जिसका नाम पाकिस्तान में जरपाल पर रखा गया है।
विल्लीज जीप चमकदार और अच्छी स्थिति में है। यह लेह से करीब 40 किलोमीटर दूर तीन ग्रेनेडियर रेजीमेंट शिविर में आकर्षण का केंद्र है। वाहन एक ‘‘युद्ध ट्रॉफी’’ है जिसे पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के दौरान कब्जे में लिया गया था। इस वाहन पर उर्दू में कुछ लिखा हुआ है। किसी समय में इस जीप पर ‘रिकॉयलेस गन’ फिट थी।
अमेरिका निर्मित इस जीप को अब रेजीमेंट की एक बेशकीमती सम्पत्ति के तौर पर पूरे भारत में ले जाया जाता है। रेजीमेंट ने यह सुनिश्चित किया है कि लगभग 50 वर्ष पुरानी यह जीप अच्छी स्थिति में रहे। कर्नल (सेवानिवृत्त) जे एस ढिल्लों ने कहा, ‘‘हमने इसे जरपाल युद्ध के दौरान कब्जे में लिया था और इसका इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना द्वारा पाकिस्तान के जरपाल क्षेत्र में शकरगढ़ सीमा पर उनकी हमले की योजना के तहत किया गया था। इसलिए इसका नाम ‘जरपाल क्वीन’ रखा गया। उस युद्ध में भारत को दो परम वीर चक्र पदक मिले थे।’’
परमवीर चक्र प्राप्त करने वालों में ग्रेनेडियर रेजीमेंट से कर्नल होशियार सिंह और आरमर्ड रेजीमेंट से सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल शामिल हैं। सेना मेडल से सम्मानित ढिल्लों को 1982 में 3 ग्रेनेडियर रेजीमेंट में शामिल किया गया था और वह गुलमर्ग स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ स्कीइंग एंड माउंटेनरिंग का नेतृत्व करते हैं जो कि पर्यटन मंत्रालय के तहत आता है। उन्होंने कहा कि ‘जरपाल क्वीन’ हर उस जगह पर गई है जहां रेजीमेंट स्थित है। जयपुर, कुपवाड़ा, शिमला, पुंछ, मेरठ, फिरोजपुर सूची बहुत लंबी है।’’