पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल नीतीश कुमार नीत जदयू द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) का समर्थन किए जाने के बाद पार्टी के ही दो पदाधिकारियों ने अपने अलग विचार व्यक्त किए हैं। जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर और राष्ट्रीय महासचिव पवन के वर्मा ने खुले तौर पर लोकसभा में विधेयक के पक्ष में जदयू के मतदान पर निराशा व्यक्त करते हुए नीतीश से इसपर दोबारा विचार करने को कहा है। इस बीच भाजपा ने कैब पर समर्थन के लिए अपने गठबंधन साथी जदयू का आभार व्यक्त किया है। गौरतलब है कि अतीत में जदयू ने तीन तालक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक जैसे प्रमुख विधानों का विरोध किया था।
पवन के वर्मा ने ट्वीट किया है, ‘‘मैं नीतीश कुमार से राज्यसभा में कैब के समर्थन पर पुनर्विचार करने का आग्रह करता हूं। विधेयक जदयू के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ होने के अलावा असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण और देश की एकता और सद्भाव के खिलाफ है। कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध किया होगा।’’ इससे पहले, सोमवार की रात में जब विधेयक को लोकसभा में मतदान के लिए रखा जा रहा था, तब प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया था, “जदयू को ऐसे विधेयक का समर्थन करते देख निराशा हुई, धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। यह जदयू के संविधान से मेल नहीं खाता, जिसके पहले पन्ने पर ही तीन बार धर्मनिरपेक्ष लिखा है। हम गांधी की विचारधारा पर चलने वाले लोग हैं।’’
बिहार भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने ट्वीट किया, “कुछ व्यक्ति खुद को या तो एक संस्था के रूप में या संगठनात्मक ढांचे से परे स्थापित करना चाहते हैं। वे यह भी चाहते हैं कि उनका नेता उनका अनुसरण करें और उनके हुक्म के अनुसार चले। जो देश के लिए भी किसी मतभेद को नहीं भुला सकता, वह बेकार है।’’ एक अन्य ट्वीट में उन्होंने सभी दलों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया है।
जदयू के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने अपने पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर अलग अलग राय होने पर पर्दा डालते हुए कहा, “हमारी पार्टी लोकतांत्रिक है इसलिए कोई आदेश नहीं है। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं। पार्टी ने इस तथ्य के बाद अपना आधिकारिक रुख अपनाया कि आस-पास के देशों से उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत से मदद मिलनी चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, यह धारणा कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है, निराधार है। यहां तक कि अगर पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश जैसे देशों में एक मुसलमान को मदद की ज़रूरत है, तो राजनीतिक शरण देने के लिए एक प्रणाली है। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली बिल के साथ समाप्त नहीं हो जाएगी। बिहार प्रदेश कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, “मैं जदयू के कई मुस्लिम नेताओं के संपर्क में रहा हूं जो इससे बहुत शर्मिंदा हैं।’’
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को खुद सामने आना चाहिए और यह स्पष्ट करना चाहिए कि धर्मनिरपेक्षिता की बात करने वाली जदयू का असली चेहरा कौन है, वर्मा और किशोर जिसका प्रतिनिधित्व करते हैं या जो संसद में दिखा। कादरी ने आरोप लगाया, ‘‘सत्ता पर काबिज होने के लिए, उन्होंने उन लोगों से पहले से संपर्क किया है, जिनकी मार्गदर्शक ताकतें नथुराम गोडसे और सावरकर रहे हैं, जिससे यह साबित होता है कि उनकी समाजवाद और गांधीवाद की बातें झूठी हैं। उन्हें हमेशा यह विचार आया करता था कि कांग्रेस ने जदयू के बजाय राजद को गठबंधन के लिए क्यों नहीं चुना। उनके खुद के क्रियाकलाप में उत्तर निहित है।’’
उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं है कि लालू प्रसाद के साथ हमारा कभी कोई मतभेद नहीं रहा है। लेकिन हम जानते हैं कि वह किस लिए खड़े हैं। लेकिन किसी को नहीं पता कि नीतीश जी का किस चीज में विश्वास है। हमें यकीन है कि वह राज्य के मुसलमानों के बीच जो भी अपनी पहचान बनायी थी, उसे खोने जा रहे हैं।” इस बीच राजद ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर कहा "जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है लेकिन अमित शाह के कहने से एक नॉन-पॉलिटिकल आदमी को 40 वर्षों से अधिक अनुभव वालों पर वरीयता देते हुए नीतीश कुमार सीधा उपाध्यक्ष बना दिया था। यह सनसनीखेज़ ख़ुलासा आपके चैनल पर स्वयं नीतीश कुमार ने जनवरी 2019 में पटना में किया था। ये भाजपा का एजेंट है।''
असदुद्दीन ओवैसी के एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान, जिनकी पार्टी ने हाल ही में बिहार में किशनगंज विधानसभा क्षेत्र के लिए हुए उपचुनाव में अपनी पहली जीत दर्ज की, ने कहा, “जदयू के कैब का समर्थन करने ने मुस्लिम वोटों को बटोरने के लिए धर्मनिरपेक्षता का ''ढोंग'' करने वाले नीतीश कुमार का सांप्रदायिक चेहरा उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि उक्त विधेयक पर हमारा रुख ओवैसी साहब द्वारा स्पष्ट किया गया है और हम जदयू के सभी मुस्लिम विधायकों और सांसदों से आग्रह करते हैं कि वे मुसलमानों के बीच इसको लेकर रोष की भावना के साथ एकजुटता से खड़े हों और अपने पदों से इस्तीफे दें।