पुरम: कांची शंकर मठ के प्रमुख शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। 82 वर्ष के शंकराचार्य ने बेचैनी की शिकायत की थी जिसके बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जयेंद्र सरस्वती देश के सबसे पुराने मठों में से एक कांची मठ प्रमुख थे और वह काफी लंबे समय से इस पद पर आसीन थे। वह श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामीगल के बाद इस शैव मठ के प्रमुख बने थे। उनके देहांत पर सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने दुख जताया है। साल 2004 में तमिलनाडु में जयललिता के शासन के दौरान शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को शंकररमण की हत्या के सनसनीखेज मामले में गिरफ्तार किया गया था। हत्या के इस मामले में पुडुचेरी की सत्र अदालत ने 2003 में उन्हें ने बरी कर दिया था। श्री वरदराजपेरुमल मंदिर के प्रबंधक ए.शंकररमण की तीन सितंबर, 2004 को धारदार हथियार से नृशंस हत्या कर दी गई थी। उन्होंने जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ठ विजयेंद्र सरस्वती के खिलाफ मठ प्रशासन में वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप लगाए थे। विजयेन्द्र सरस्वती अब उनके उत्तराधिकारी बनेंगे।
शंकररमण की हत्या की साजिश रचने के आरोप में जयेंद्र सरस्वती को दीपावली की पूर्व संध्या पर 11 नवंबर 2004 को गिरफ्तार किया गया था। इन दो शंकराचार्यों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया गया था। विजयेंद्र सरस्वती को 10 जनवरी 2005 को मठ से गिरफ्तार किया गया था और एक महीने बाद उन्हें मद्रास उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई थी। शंकराचार्य ने उच्चतम न्यायालय का रुख कर मामले को पुडुचेरी की अदालत में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने आशंका व्यक्त की थी कि तमिलानाडु का माहौल ठीक नहीं है और ऐसी स्थिति मे वहां मुकदमा की कार्यवाही ि निष्पक्ष ढंग से शायद नहीं चल पाये। नवंबर 2013 में पुडुचेरी सत्र अदालत ने शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वती और श्री विजयेंद्र सरस्वती को आरोपों से बरी कर दिया था। जयेन्द्र शंकराचार्य विजयेन्द्र सरस्वती के अलावा मामले के 21 अन्य आरोपियों को भी पुडुचेरी के प्रधान जिल एवं सत्र न्यायाधीश सी एस मुरुगन ने बरी कर दिया था। इस मामले में कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया था लेकिन उनमें से एक काथीरावन की 2013 में हत्या हो गई थी।