चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी नहीं कहा जा सकता। अदालत ने जयललिता का स्मारक बनाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति पी राजामणिकम की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए ‘देसिया मक्कल शक्ति कात्ची’ के प्रमुख एम एल रवि की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में तमिलनाडु सरकार को स्मारक बनाने में सरकारी धन खर्च करने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता ने कहा कि अगर सरकार ने इस पर धन खर्च किया है तो इसे वसूला जाना चाहिए क्योंकि वह आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी हैं। पीठ ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर उच्चतम न्यायालय के आदेश से पहले ही जयललिता का निधन हो गया और इसलिए उन्हें बरी करने के खिलाफ अपील समाप्त हो गई।
याचिकाकर्ता ने कहा कि यह धन अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों के निर्माण और नागरिकों के लिए मूलभूत सुविधाओं पर खर्च किया जा सकता है। इस पर, अदालत ने कहा कि यह फैसला करना राज्य सरकार का काम है और वह इस संबंध में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती।
शीर्ष अदालत ने 2017 में आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता के खिलाफ आरोप समाप्त कर दिए जबकि उनकी करीबी सहयोगी वी के शशिकला तथा दो अन्य को जेल की सजा दी थी।