श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के तीन अलगाववादी नेताओं ने अनुच्छेद 35A को रद्द करने की मांग करने वाली याचिकाओं के पक्ष में उच्चतम न्यायालय के फैसला किए जाने की स्थिति में घाटी के लोगों से एक जन आंदोलन शुरू करने का आज अनुरोध किया। साथ ही, यह भी कहा कि राज्य सूची के विषय से छेड़छाड़ फलस्तीन जैसी स्थिति पैदा करेगा। यहां एक संयुक्त बयान में अलगाववादी नेताओं - सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक- ने लोगों से अनुरोध किया कि यदि उच्चतम न्यायालय राज्य के लोगों के हितों और आकांक्षा के खिलाफ कोई फैसला देता है, तो वे लोग एक जनआंदोलन शुरू करें। (BJP नेता ने सिद्धामैया पर ली चुटकी, प्रधानमंत्री ने भूखे पेट किए मंजूनाथ मंदिर के दर्शन)
दरअसल, यह विषय उच्चतम न्यायालय के समक्ष सुनवाई के लिए आने वाला है। यह अनुच्छेद जम्मू कश्मीर के स्थायी बाशिंदों के विशेष अधिकारों से संबद्ध है। गौरतलब है कि अनुच्छेद 35A भारतीय संविधान में एक प्रेंसीडेंशियल आर्डर के जरिए 1954 में जोड़ा गया था। यह राज्य विधानमंडल को कानून बनाने की कुछ विशेष शक्तियां देता है। अलगाववादी नेताओं ने कहा कि राज्य सूची के कानून से छेड़छाड़ का कोई कदम फलस्तीन जैसी स्थिति पैदा करेगा।
उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम बहुल राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए एक साजिश रची जा रही है। अनुच्छेद 35A में संशोधन की किसी कोशिश के खिलाफ राज्य के हर तबके के लोग सड़कों पर उतरेंगे। अलगाववादी नेताओं ने कहा, हम घटनाक्रमों को देख रहे हैं और जल्द ही कार्वाई की रूपरेखा और कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। इन नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा राज्य में जनमत संग्रह की प्रक्रिया को नाकाम करने की कोशिश कर रही है। साथ ही पीडीपी को आरएसएस का सहयोगी बताया।