नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में युवाओं के साथ एक खौफनाक साजिश हो रही है। यहां मासूम बच्चों को सोशल मीडिया के जरिए आतंकवादी बनाया जा रहा है। खासतौर के दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सबसे ज्यादा मासूम बच्चों को टारगेट किया जा रहा है। इंडिया टीवी संवाददाता मंजूर मीर पुलवामा के लेहाड़ गांव में एक ऐसे परिवार से मिले जिनका बच्चे को बरगला कर आतंकवाद के रास्ते पर धकेल दिया गया। दो साल पहले 8वीं क्लास में पढ़नेवाले तेरह साल के आरिफ नबी डार के हाथ में अब बंदूक है।
स्कूल में अच्छे मार्क्स लाता था आरिफ
पहले आरिफ डार मेधावी स्टूडेंट था। वह स्कूल में अच्छे मार्क्स लाता था और क्रिकेट का बेहद शौकीन था। जोनल टीम के लिए सेलेक्शन भी हो गया था। लेकिन एक दिन अचानक घर से निकला तो वापस नहीं आया। परिवार ने ढूंढने की काफी कोशिश की लेकिन कहीं नहीं मिला। छह महीने बाद अचानक उसकी एक फोटो सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हुई। इस फोटो में आरिफ डार लश्कर के टॉप कमांडर अबु दुजाना के साथ था। आरिफ अहमद डार लश्कर के आतंकी अबु दुजाना का बॉडीगार्ड बन चुका था। आरिफ अहमद डार अब आठ लाख का ईनामी बदमाश है। वह पुलवामा में बैंक लूट के आरोपियों में से एक है।
सोशल मीडिया पर दिखाए जाते हैं भड़कानेवाले मैसेज
दरअसल छोटे-छोटे बच्चों को इस तरह प्रेरित कर दिया जाता है जिससे वो अपना करियर और भविष्य सबकुछ दांव पर लगाकर आतंकवाद की तरफ चले जाते हैं। इस काम के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर तरह तरह के भड़कानेवाले मैसेज दिखाए जाते हैं। इंडिया टीवी के रिपोर्टर मंजूर जब आरिफ के घर गए तो वहां मायूसी का माहौल था। आरिफ घर में सबसे छोटा था। आरिफ ने भाई आदिल ने उस दिन का वो पूरा किस्सा बताया जिस दिन आरिफ घर से यह कहकर निकला था कि क्रिकेट खेलने जा रहा है लेकिन फिर लौटकर नहीं आया। हालांकि आरिफ की फोटो सोशल मीडिया पर जरूर आई लेकिन इस बार क्रिकेटर बनने वाला आरिफ लश्कर का आतंकवादी बन चुका था।
70 रुपये लेकर घर निकला था आरिफ
आदिल ने आरिफ की एक एक बात बताई कहा कि दो साल पहले जब घर से निकला था तो सिर्फ सत्तर रुपए लेकर गया था। आरिफ ने यह कहा था कि क्रिकेट खेलने जाएगा तो वहीं पर खाने का इंतजाम होगा। आरिफ ने कहा था कि वह रात आठ बजे घर लौट आएगा। आदिल ने बताया कि आरिफ के क्रिकेट के चर्चे सिर्फ गली में नहीं बल्कि स्कूल में भी खूब थे। वो अपनी स्कूल टीम का कैप्टन भी था।