श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद लोकतंत्र में वहां की जनता का भरोसा बढ़ने लगा है और इस बात को वहां पर चल रहे जिला विकास परिषद (DDC) के चुनावों में हुआ मतदान सिद्ध करता है। जिला विकास परिषद के 8 में से 6 चरणों का मतदान हो चुका है और इन 6 चरणों में कई जगहों पर मतदान में कई गुना बढ़ोतरी हुई है।
पुलवामा, जहां पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के जवानों की बस को बम धमाके में उड़ा दिया था, वहां पर पहले के मुकाबले मतदान में कई गुना बढ़ोतरी हुई है, 2018 के पंचायत चुनावों के दौरान पुलवामा में सिर्फ 1.10 प्रतिशत मतदान हुआ था जो 2019 के लोकसभा चुनावों मे 1.20 प्रतिशत रहा, लेकिन इस बार जिला विकास परिषद चुनावों के दौरान पुलवामा में 7.4 प्रतिशत वोटिंग हुई है। हालांकि यह मतदान औसत से बहुत कम है लेकिन फिर भी वहां पर पहले के मुकाबले ज्यादा लोगों का भरोसा लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बढ़ा है।
पुलवामा की तरह का ट्रेंड अवंतिपूरा में भी देखने को मिला है जहां पर 2018 के पंचायत चुनावों में सिर्फ 0.4 प्रतिशत वोटिंग हुई थी और 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बढ़कर 3 प्रतिशत तक पहुंची और इस बार 9.6 प्रतिशत मतदान हुआ है।
बात अगर श्रीनगर की की जाए तो वहां पर भी पहले के मुकाबले मतदान में जोरदार बढ़ोतरी हुई है, 2018 के पंचायत चुनावों के दौरान श्रीनगर में सिर्फ 14.50 वोटिंग हुई थी जो 2019 के लोकसभा चुनाव में घटकर 7.90 प्रतिशत बची लेकिन इस बार जिला विकास परिषद चुनावों में यह 35.3 प्रतिशत दर्ज की गई है। इसी तरह कुलगाम, अनंतनाग, बडगाम और गंदरबाल में भी मतदान प्रतिशत बढ़ा है।
पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था और जम्मू-कश्मीर को लद्दाख से अलग करके दोनों को अलग अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। उस समय नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टियों ने केंद्र सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि इससे जम्मू-कश्मीर में अलगाव बढ़ेगा। लेकिन जिला विकास परिषद में जिस तरह से मतदान हो रहा है उससे साफ लग रहा है कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने केंद्र के फैसले को सही माना है और वहां पर मतदान में सक्रिय भागीदारी हो रही है।