नई दिल्ली: बार काउंसिल ऑफ इंडिया ( बीसीआई ) ने रविवार को जम्मू और कठुआ के बार संगठनों से हड़ताल वापस लेने को कहा और पांच सदस्यीय एक टीम को कठुआ बलात्कार मामले में वकीलों के कथित कदाचार की घटना की जांच के लिए भेजने का निर्णय लिया। इस टीम की अध्यक्षता उच्च न्यायालय के एक पूर्व प्रमुख न्यायाधीश करेंगे। बार काउंसिल के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा ने संवाददाताओं को बताया कि अगर कोई वकील दोषी पाया जाता है तो काउंसिल वकालत के उनके लाइसेंसों को रद्द तक करने की हद तक जा सकता है। उन्होंने कहा , “ बीसीआई ने एक निर्देश जारी किया और जम्मू उच्च न्यायालय के बार संगठन और कठुआ बार संगठन से हड़ताल तत्काल खत्म करने की अपील की। हमने उनसे आग्रह किया और इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कल एक विशेष बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। ”
बार काउंसिल का यह निर्णय उनकी आम सभा की बैठक के बाद आया है। उच्चतम न्यायालय द्वारा बीसीआई को नोटिस दिए जाने के बाद आज यह बैठक बुलाई गई। कठुआ में आठ साल की बच्ची से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में कठुआ और जम्मू - कश्मीर बार एसोसिएशन द्वारा बुलाई गई हड़ताल पर उच्चतम न्यायालय ने स्वंत : संज्ञान लेते हुए इन बार संगठनों को नोटिस जारी किया।
जम्मू बार एसोसिएशन ने 13 अप्रैल को कहा था कि वह ‘‘बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं की बढ़ती अवैध मौजूदगी” के खिलाफ अपनी हड़ताल को 17 अप्रैल तक बढ़ाएंगे। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कठुआ बलात्कार व हत्या मामले में सीबीआई जांच को लेकर उनके प्रदर्शन को गलत ढंग से प्रस्तुत कर “ सांप्रदायिक ” रंग दिया गया। बीसीआई के अध्यक्ष ने बताया कि मामले की जांच के लिए टीम 20 अप्रैल को जम्मू जाएगी और सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करने के बाद अपनी रिपोर्ट बार काउंसिल को सौंपेगी जो बाद में इस रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय के सामने रखेगा।